New Delhi. भारत अगर दुनियाभर में अरबों लोगों के आहार के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थ के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दे तो क्या होगा? 20 जुलाई 2023 को नरेंद्र मोदी सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। ये फैसला घरेलू स्तर पर चावल के दामों को नियंत्रित रखने के मकसद से लिया गया। इस फैसले के बाद अमेरिका, कनाडा और अन्य देशों में भारतीय किराना दुकानों से लोगों के डर में अधिक खरीदारी करने और दुकानों के ख़ाली होने के वीडियो आए। इसी बीच चावल के दाम और अधिक बढ़ गए। अमेरिका में तो सामान्य चावल के एक बैग की कीमत 50 डॉलर यानी 4100 भारतीय रुपए तक पहुंच गई है, जो पहले 16-18 डॉलर यानी 1300-1400 भारतीय रुपए थी। ऐसे ही हाल अन्य देशों के भी हैं। दुनिया में चावल का 40 प्रतिशत निर्यात भारत से ही होता है। ऐसे में यह प्रतिबंध नहीं हटा तो वैश्विक खाद्य संकट बढ़ सकता है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश
दुनियाभर में चावल की हजारों किस्में पैदा होती हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर इन किस्मों के चार समूहों का ही कारोबार होता है, अधिकतर वैश्विक कारोबार पतले और लंबे इंडिका चावल में होता है। इसके बाद बासमती, छोटे चावल जैपोनिका, जिनका इस्तेमाल सुशी और रिजोटो बनाने में होता है और चौथी किस्म होती है, चिपचिपे चावल की जिनका इस्तेमाल मिठाई बनाने में होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है और चावल का 40 प्रतिशत वैश्विक कारोबार भारत से ही होता है। भारत के बाद थाइलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान और अमेरिका का नंबर आता है।
बड़े खरीदारों में चीन, फिलीपींस और नाइजीरिया शामिल हैं। इंडोनेशिया और बांग्लादेश जैसे खरीदार भी हैं जो घरेलू स्तर पर उपज कम होने पर खरीदारी बढ़ा देते हैं।
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अमेरिका में तीन गुना बढ़े दाम
जानकारी अनुसार, अमेरिका में 9.07 किलो चावल का एक बैग 20 जुलाई तक 16-18 डॉलर यानी 1300-1400 भारतीय रुपए का मिल रहा था, वही अब (2 अगस्त 2023) उसकी कीमत 50 डॉलर यानी 4100 भारतीय रुपए तक पहुंच गई है। हर महीने भारत अमेरिका को 6000 टन नॉन बासमती चावल सप्लाई करता है, जिसमें से 4000 टन सिर्फ और सिर्फ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से भेजे जाते हैं।
अफ़्रीका में चावल की खपत बढ़ रही, खाद्य का संकट पैदा हुआ
अफ्रीका में चावल की खपत अधिक होती है, जो अब और बढ़ रही है। क्यूबा और पनामा जैसे देशों में चावल ही आहार और पोषण का अहम हिस्सा है। चावल की कमी होने से खाद्य संकट बढ़ने लगा है। पिछले साल यानी 2022 में भारत ने 140 देशों को 2.2 करोड़ टन चावल बेचा था। इनमें से 60 लाख टन सस्ता इंडिका सफेद चावल था। अनुमान के मुताबिक पिछले साल दुनियाभर में 5.6 करोड़ टन चालव का कारोबार हुआ था।
ऐसे में वैश्विक स्तर पर अनाज की कीमत 15% तक बढ़ जाएगी
पिछले साल भारत ने टूटे हुए बासमती चावल का निर्यात रोक दिया था और बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगा दिया था। भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया तो दुनियाभर में इसकी कमी को लेकर चिंता पैदा हो गई और अचानक दाम बढ़ गए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे ओलीवियर गोरिंचा का मानना है कि इस फैसले से दाम बढ़ेंगे और वैश्विक स्तर पर अनाज की कीमत 15 फीसदी तक बढ़ जाएगी।
लगातार इसलिए बढ़ रहे दाम, आपूर्ति का संकट
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संस्थान में विश्लेषक शिरले मुस्तफा बताते हैं कि भारत का प्रतिबंध लगाने का ये फैसला एक खास मुश्किल समय में आया है। 2022 की शुरुआत से ही चावल के दाम वैश्विक स्तर पर लगातार बढ़ रहे हैं और पिछले साल जून से अब तक 14 प्रतिशत बढ़ चुके हैं। दूसरी बात ये है कि आपूर्ति पर दबाव है, क्योंकि नई फसल के बाजार में आने में अभी तीन महीने का समय है। दक्षिण एशिया में खराब मौसम, भारत में मानसून की बारिश में उतार-चढ़ाव और पाकिस्तान में आई बाढ़ ने आपूर्ति को प्रभावित किया है। खाद की कीमतें बढ़ने की वजह से चावल की उत्पादन लागत भी बढ़ रही है, वहीं मुद्रा में गिरावट की वजह से कई देशों के लिए चावल आयात करना महंगा हो गया है, जबकि बढ़ती महंगाई ने कर्ज लेकर कारोबार करने की कीमत को बढ़ा दिया है।
भारत के पास जरूरत से तीन गुना अधिक चावल का भंडार
भारत के पास 4.1 करोड़ टन चावल का भंडार है। ये भारत की ज़रूरत से तीन गुणा अधिक है। ये चावल भारत के रणनीतिक रिजर्व और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत बनाए गए भंडारों में हैं। पीडीएस के तहत भारत के 70 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त अनाज दिया जाता है।
अक्टूबर 2022 से अब तक घरेलू स्तर पर चावल के दाम 30 प्रतिशत तक बढ़े
पिछले एक साल से भारत भी तेज़ी से बढ़ती खाद्य सामानों की महंगाई का सामना कर रहा है। पिछले साल अक्तूबर से अब तक घरेलू स्तर पर चावल के दाम 30 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। 2024 में आम चुनाव हैं, ऐसे में सरकार पर भी दबाव बढ़ रहा है। अगले कुछ महीनों में कई राज्यों में भी चुनाव होने हैं। ऐसे में जीवन यापन की बढ़ रही लागत सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है।
चावल उत्पादन वाले क्षेत्रों में सूखे की आशंका
भारत में कृषि नीतियों के विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा कहते हैं कि भारत सरकार उत्पादन में गिरावट की आशंका से आगे रहना चाहती है क्योंकि दक्षिण भारत के चावल उत्पादन वाले क्षेत्रों में सूखे की आशंका है क्योंकि इस साल अगले कुछ महीनों में अल नीनो प्रभाव के चलते बारिश कम रह सकती है। बहुत से लोगों का मानना है कि भारत को चावल के निर्यात पर रोक के फैसले से बचना चाहिए था क्योंकि इससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।
42 देश भारत से खरीदते हैं 50% चावल
42 देश अपने चावल आयात का पचास फीसदी से अधिक भारत से करते हैं। आईएफपीआरआई के मुताबिक, अफ्रीका के कई देशों में 80 फीसदी चावल भारत से निर्यात होता है। एशिया में चावल की शीर्ष खपत वाले देशों- बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और श्रीलंका में उदाहरण के तौर पर कुल कैलरी खपत में चावल का योगदान 40 से 70 प्रतिशत के बीच रहता है।