भोपाल. सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी पीआईबी ( PIB ) के तहत काम करने वाली फैक्ट चेक ( fact check ) यूनिट पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि यह अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है। इस फैक्ट चेक यूनिट को केंद्र सरकार के बारे में फर्जी खबरों की पहचान करने और उसे रोकने के लिए बनाया गया था।
यूनिट ऐसे करती काम
फैक्ट चेक यूनिट को ऐसी किसी भी पोस्ट के बारे में पता चलता है, जो फर्जी या गलत है या जिसमें सरकार के कामकाज को लेकर भ्रामक तथ्य हैं, तो वह इसे सोशल मीडिया मध्यस्थों के पास भेज देगा। इसके बाद ऑनलाइन मध्यस्थों को ऐसे कंटेंट हटाने होंगे।
नियमों को असंवैधानिक बताया
स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इसके खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ताओं ने केंद्र को फैक्ट चेक यूनिट को अधिसूचित करने से रोकने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने इससे जुड़े नियमों को मनमाना और असंवैधानिक बताया था।
कोर्ट में ये 3 दलीलें रखीं, जो मान ली गईं
- सबके के लिए एक स्वतंत्र फैक्ट चेक यूनिट रहनी चाहिए, जबकि केंद्र सरकार इसे सिर्फ अपने लिए ला रही है, जो मनमाना है।
- क्या गलत है या क्या नहीं, यह तय करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट केंद्र के फैसले पर निर्भर नहीं हो सकता।
- चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में फैक्ट चेक यूनिट केंद्र के लिए एक हथियार बन जाएगा, जिससे वे तय करेंगे कि मतदाताओं को कौन सी जानकारी दी जाए।