Itanagar. गृहमंत्री अमित शाह अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर हैं। वे यहां वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की शुरूआत करने पहुंचे हैं। चीन अमित शाह के इस दौरे से बेहद भड़का हुआ है। दरअसल इस प्रोग्राम का मकसद सीमांत गांवों को विकसित करना है। साथ ही यहां बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की योजना प्रस्तावित है। अमित शाह के दौरे को चीनी विदेश मंत्रालय क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करार दे रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहता है और उस पर अपना दावा जताता आया है।
क्या है वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम?
मोदी सरकार ने सीमावर्ती गांव के डेवलपमेंट के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम शुरू किया है। इस प्रोग्राम के तहत अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के गांवों को चयनित किया गया है। सरकार के मुताबिक लद्दाख के इतर इन चार राज्यों के 19 जिलों के 2967 गांव विकसित किए जाऐंगे। पहले चरण में 662 गांवों का विकास होना है। इन 662 गांवों में भी 455 गांव अकेले अरुणाचल प्रदेश के हैं। हिमाचल प्रदेश के 75, उत्तराखंड के 51, सिक्किम के 46 और लद्दाख के 35 गांव पहले चरण में विकसित कर दिए जाऐंगे।
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यह होंगी सुविधाएं
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत गांवों के आर्थिक विकास, रोजगार, सड़क संपर्क, घरों का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना, पारंपरिक और सौर ऊर्जा के जरिए बिजली की सुविधा, कॉमन सर्विस सेंटर, दूरदर्शन और कम्युनिकेशन कनेक्टिविटी, पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा, स्किल डेवलपमेंट और उद्यमिता, सहकारी समितियों का विकास कराया जाएगा।
इस योजना पर केंद्र सरकार 4800 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। जिसमें 2500 करोड़ रुपए की राशि अकेले सड़क संपर्क के विकास के लिए रखी गई है। दरअसल चीन ने एलएसी के पार सैकड़ों गांव बसाए हैं। इन गांवों को बसाने का काम साल 2017 में शुरू किया गया था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन लद्दाख से सटे इलाके में बहुत तेजी से निर्माण करा रहा है। जिसके जवाब में भारत ने यह कार्यक्रम चलाया है। भविष्य में अप्रिय हालात में सड़क संपर्क बन जाने से सेनाएं काफी कम समय में सीमा पर पहुंच सकती हैं।