KANPUR. उत्तरप्रदेश की एसडीएम ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक का मामला अभी थमा भी नहीं कि कानपुर देहात से भी ऐसा मामला सामने आया है। यहां एक शख्स ने आरोप लगाया है कि उसने पढ़ाई के प्रति पत्नी की मेहनत और लगन को देखकर उसे आगे पढ़ाने का फैसला किया। कर्ज लेकर उसको नर्सिंग का कोर्स करवाया। इसके बाद मेडिकल लाइन में उसे नौकरी मिली। मगर अब वो तलाक लेना चाहती है।
दोनों की पांच साल पहले हुई थी शादी
दरअसल, जिले के शिवली कोतवाली के मैंथा रविंद्रपुरम गांव निवासी अर्जुन सिंह की शादी 2017 में बस्ती जिले की रहने वाली सविता मौर्या के साथ हुई थी। अर्जुन का कहना है कि शादी के बाद पत्नी की पढ़ाई के प्रति लगन देखकर उसने आगे पढ़ाने का फैसला लिया। इसके बाद नर्सिंग की पढ़ाई कराने के लिए उसका दाखिला कानपुर नगर के एक कॉलेज में कराया। काबिल होने के बाद उसकी नौकरी लग गई। अब दूरियां बना रही।
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पत्नी बोलती है- 'काला, नाटा हूं और स्टेटस मैच नहीं करता'
पढ़ाई पूरी होने के बाद पत्नी की दिल्ली में नौकरी लग गई। इसी दौरान उसे पत्नी पर कुछ शक हुआ तो वापस अपने पास बुला लिया। इसके बाद कानपुर देहात में रसूलाबाद के नारखुर्द में स्वास्थ्य केंद्र में सीएचओ (कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर) के पद पर उसकी नौकरी लग गई। फिलहाल वो संविदा पर है। पति का कहना है कि नौकरी मिलने के 2-3 महीने बाद से ही उसका रवैया बदल गया। वो रसूलाबाद में कमरा लेकर रहने लगी और दूरी बनाने लगी। अब कहती है, "मैं काला और नाटा हूं। उसके स्टेटस से भी नहीं मैच करता हूं। इसलिए तलाक चाहिए।"
पत्नी का जवाब- 'एक साल की फीस ही दी, कोई मकान नहीं बेच दिया'
अर्जुन का कहना है कि 6 से 7 लाख रुपए कर्ज लेकर उसने पत्नी को पढ़ाया था, जिसे वो आज भी किसी तरह मजदूरी करके चुका रहा है। मगर पत्नी तलाक चाहती है, पर वो उसके साथ घर बसाकर जिंदगी जीना चाहता है। अर्जुन का कहना है कि जो उसके साथ हुआ है, उसके बाद कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी को नहीं पढ़ाएगा। अर्जुन की आपबीती के बाद जब इस पूरे मामले में उनकी पत्नी से बात की गई तो उन्होंने कहा- एक साल की फीस ही दी है, कोई मकान नहीं बेच दिया। वो कुछ करना नहीं चाहते हैं। पढ़ना-लिखना भी नहीं चाहते हैं।