NEW DELHI. केंद्र सरकार ने 2000 के नोट बदलने की आखिरी डेडलाइन बढ़ाने को लेकर मंगलवार (25 जुलाई) को संसद में जानकारी देकर स्पष्ट कर दिया है कि अगले महीने क्या कदम उठाया जाएगा। केंद्रीय बैंक आईबीआई की ओर से 2000 के नोट बदलने की आखिरी तारीख 30 सितंबर तक की गई है। जिन लोगों के पास भी 2000 के नोट मौजूद है, वे इस तारीख तक किसी भी बैंक में जाकर नोट एक्सचेंज करवा सकते हैं।
क्या आखिरी तारीख बढ़ेगी ?
कुछ सांसदों की ओर से 2000 का नोट बदलने की तारीख आगे बढ़ाने को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किया गया था। इसके जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में कहा कि 2000 का नोट बदलने की आखिरी तारीख में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसका मतलब ये है कि 2000 का नोट बदलने के लिए पहले से तय आखिरी तारीख 30 सितंबर नहीं बदलने वाली है। इसके साथ ही बताया गया कि सरकार के पास मौजूदा 2000 के नोट को बदलने के लिए पर्याप्त मात्रा में दूसरी वैल्यू के नोट मौजूद हैं।
RBI के पास अब तक 72 प्रतिशत नोट वापस पहुंचे
आरबीआई की ओर से 19 मई को 2000 के नोट वापस लेने का फैसला किया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा था कि 2000 के नोट करंसी के रूप में वैध रहेंगे। साथ ही कहा कि बैंक की ओर से ये फैसला क्लीन नोट पॉलिसी के तहत लिया गया था। आरबीआई की ओर से जून में जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि नोट वापस लिए जाने के 1 महीने में करीब 72 प्रतिशत नोट बदले या फिर जमा हो चुके हैं।
एक बार में कितने नोट बदल सकते हैं ?
आरबीआई के मुताबिक कोई भी एक बार में अधिकतम 2000 रुपए या 2-2 हजार के 10 नोटों को बदल सकता है। इसके लिए किसी भी प्रकार के दस्तावेज और आईडी की जरूरत नहीं होगी। वर्तमान में बैंकों में 2000 के नोटों का आना जारी है।
2019 से छपना बंद हैं 2000 के नोट
RBI के मुताबिक 2000 रुपए के नोट 2019 के बाद से ही छपना बंद कर हो गए थे। इसी वजह से 2023 मार्च तक बाजार में 2000 रुपए का नोट सिर्फ 10.8 फीसदी रह गया है। ऐसे में अगर RBI ने ये फैसला नहीं भी लिया होता तो कुछ सालों में ये नोट बाजार में दिखना स्वत: बंद हो जाता। वर्तमान में भारत में 31 लाख 33 हजार करोड़ रुपए की करेंसी सर्कुलेशन में है। इनमें 3 लाख 13 हजार करोड़ रुपए की 2 हजार रुपए की करेंसी चलन में है।
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जानिए क्या है क्लीन नोट पॉलिसी
RBI ने कहा कि ये उद्देश्य बाजार में अन्य नोट पर्याप्त मात्रा में आ जाने के बाद पूरा हो गया और इसलिए साल 2018-19 में 2000 रुपए के नोट छापने बंद कर दिए गए थे। रिजर्व बैंक ने 2 हजार रुपए के नोटों को वापस लेते हुए कहा है कि ये बैंक की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत किया जा रहा है। क्लीन नोट पॉलिसी ये सुनिश्चित करता है कि लोगों के बीच अच्छे क्वालिटी के बैंक नोट पहुंचे। इस पॉलिसी का उद्देश्य करेंसी के डैमेज, नकली और गंदे नोटों को हटाकर भारतीय मुद्रा की अखंडता को बनाए रखना है। ये पॉलिसी डैमेज नोटों को बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट सर्कुलेशन से बाहर करता है। इस पॉलिसी के तहत पुराने नोटों को नए नोटों के साथ बदलना होता है। आरबीआई की इस नीति के तहत सर्कुलेशन में नोटों की क्वालिटी को मॉनिटर किया जाता है।