आज, 21 दिसंबर 2024 को, साल की सबसे लंबी रात और सबसे छोटा दिन होने वाला है। यह दिन खगोलीय दृष्टि से बेहद खास है क्योंकि इसे शीतकालीन संक्रांति (Winter Solstice) कहा जाता है। इस खगोलीय घटना के पीछे पृथ्वी के झुके हुए अक्ष और सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति का महत्वपूर्ण योगदान है।
खगोलीय घटना का कारण और महत्व
खगोलविदों का मानना है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, जिसके कारण दिन-रात और मौसमों में परिवर्तन होता है। जब पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव सूर्य से दूर अपने अधिकतम झुकाव पर होता है, तब उत्तरी गोलार्ध में शीतकालीन संक्रांति होती है। इस दिन दिन के उजाले की अवधि सबसे कम होती है और रातें सबसे लंबी होती हैं। इस बार, सूर्योदय सुबह 7:04 बजे और सूर्यास्त शाम 5:45 बजे होगा। दिन कुल 10 घंटे 41 मिनट का रहेगा, जबकि रात की अवधि 13 घंटे 19 मिनट होगी।
शीतकालीन संक्रांति और ऋतुओं का बदलाव
शीतकालीन संक्रांति के बाद उत्तरी गोलार्ध में दिन की अवधि बढ़ने लगती है, और रातें छोटी हो जाती हैं।
यह खगोलीय घटना उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध दोनों में अलग-अलग समय पर होती है। उत्तरी गोलार्ध: दिसंबर संक्रांति ( 20-23 दिसंबर के बीच ) दक्षिणी गोलार्ध: जून संक्रांति ( 20-22 जून के बीच ) शीतकालीन संक्रांति केवल एक पल की घटना होती है, लेकिन इसका सांस्कृतिक और खगोलीय महत्व कई संस्कृतियों और त्योहारों में देखा जाता है।
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खगोलीय शब्दावली और इतिहास
शीतकालीन संक्रांति का नाम लैटिन भाषा के दो शब्दों "सोल" (सूर्य) और "ईस्ट्स" (स्थिर) से लिया गया है, जिसका अर्थ है "स्थिर सूर्य। प्राचीन काल से यह समय विभिन्न संस्कृतियों में त्योहारों और अनुष्ठानों के रूप में मनाया जाता रहा है। इस दिन के बाद उत्तरी गोलार्ध में धीरे-धीरे दिन की अवधि बढ़ने लगती है और रातें छोटी होने लगती हैं। यह घटना आने वाले वसंत ऋतु की ओर इशारा करती है।
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