भारतीय राजनीति के बदलते परिदृश्य में एक ट्रेंड स्पष्ट रूप से उभरा है। अब महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कल्याणकारी योजनाएं चुनावी जीत में निर्णायक फैक्टर साबित हो रही हैं। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव से शुरू हुए इस प्रयोग के बाद अब कई राज्यों की राजनीतिक पार्टियों ने महिला- केंद्रित कल्याण कार्यक्रमों की घोषणा की है। महिला मतदाताओं का ये आधार राजनीतिक दलों के लिए मजबूत वोटर बैंक साबित हुआ है।
झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने एक बार फिर से इस ट्रेंड की पुष्टि की है। इस पैटर्न ने इस बात को भी रेखांकित किया है कि राजनीतिक परिणामों को आकार देने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसे ये भी कह सकते हैं कि अब चुनाव में जीत का एक ही मंत्र- बिटिया, लाड़ली बहना और मां को सीधे DBT यानी डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर…
महाराष्ट्र: माझी लड़की बहिन योजना
बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र में खराब प्रदर्शन किया था, जब उसने 28 सीटों में से केवल 9 सीटें जीतीं। इसके बाद राज्य सरकार ने 'माझी लड़की बहिन योजना' शुरू की, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने पर केंद्रित थी। इस योजना के तहत, 18 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं को, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपए से कम है, उन्हें 1500 रुपए मासिक सहायता दी गई।
चुनाव से कुछ दिन पहले दी गई इस सहायता ने महिला वोटरों को महायुति की ओर खींचा। महिलाओं के मतदान में इस बार 6% की बढ़त दर्ज की गई, और 65.22% महिलाओं ने वोट डाला। 15 विधानसभा क्षेत्रों में महिला मतदाता पुरुषों से अधिक रहीं, जिसने चुनाव परिणामों पर गहरा असर डाला।
झारखंड: मैया सम्मान योजना
झारखंड में बीजेपी ने इस बार काफी आक्रामक चुनाव प्रचार किया था। उसने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को काफी जोर-शोर से उठाया था, लेकिन बीजेपी इंडिया गठबंधन की 'मैया सम्मान योजना' की काट नहीं निकाल पाई। हेमंत सोरेन की अगुआई वाली झारखंड सरकार इस योजना के तहत 18 से 50 साल की महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपए देती है। पूरे चुनाव अभियान के दौरान इस योजना का साफ असर दिखाई दिया।
हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन चुनाव अभियान के दौरान इस योजना की अघोषित चेहरा बनकर उभरीं और उन्होंने महिला मतदाताओं को जोड़ने में काफी अहम भूमिका निभाई। महिला मतदाताओं का इंडिया गठबंधन की ओर झुकाव का एक कारण उसका चुनावी वादा भी था। इंडिया गठबंधन ने अपने साझा घोषणापत्र में वादा किया था कि अगर वो फिर से सत्ता में आए तो मैया सम्मान योजना के तहत दिसंबर से राशि बढ़ाकर 2,500 रुपए कर दी जाएगी। कल्पना सोरेन ने इस वादे को महिला मतदाताओं तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। मतदान के दौरान महिला मतदाताओं में, खासतौर से आदिवासी इलाकों में इस योजना का साफ असर देखा गया।
मध्य प्रदेश बना अगुआ
दरअसल 2023 में एंटी इनकंबेंसी के चलते बीजेपी की शिवराज सरकार का जाना लगभग तय था, तब आनन-फानन में कई लोक- लुभावन योजनाएं लॉन्च की गईं। उनमें से ही एक थी- लाड़ली बहना योजना.. चुनाव से पहले तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह ने वादा किया था कि 23 से लेकर 60 साल तक की उम्र वाली एक करोड़ 25 लाख महिलाओं को प्रति माह 1000 रुपए दिए जाएंगे। शिवराज सिंह चौहान का वादा था कि जीतने पर यह राशि 3 हजार रुपए कर दी जाएगी। इस योजना के तहत एक जून 2023 से पैसे ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू हुई, जो अब तक जारी है। मध्यप्रदेश में BJP की हारी बाजी को जीताने वाली यह योजना इस समय हर राज्य में जीत का फॉर्मूला बनकर उभरी है।
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