विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन के इस्तेमाल पर मुहर लगा दी है। मलेरिया के पहले टीके RTS,S/AS01 का इस्तेमाल सबसे ज्यादा प्रभावित अफ्रीकी देशों में होगा। मलेरिया वैक्सीन का नाम Mosquirix रखा गया है। दुनियाभर में हर साल मलेरिया संक्रमण के कारण करीब 4 लाख लोगों की जान जाती है और इसके कारण हर दो मिनट में एक बच्चे की जान जा रही है। 1897 में भारत में ब्रिटिश डॉक्टर रहे रोनाल्ड रॉस ने सिकंदराबाद में मलेरिया के लिए जिम्मेदार परजीवी (Parasite) की खोज की थी।
अफ्रीकी देशो में वैक्सीनेशन की सबसे ज्यादा जरूरत
हर साल आने वाले मलेरिया के मामलों में से सबसे ज्यादा केस सब-सहारन अफ्रीका (उप-सहारा अफ्रीका) में देखने को मिलते हैं। इनमें एक चौथाई मामले नाइजीरिया के होते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इन जगहों पर मलेरिया के कारण हर साल 5 साल से कम उम्र के मरने वाले बच्चों की संख्या 2,60,000 से ज्यादा है। (WHO) के डायरेक्टर-जनरल टेड्रॉस गेब्रयेसस ने खुशी जताते हुए कहा यह एक ऐतिहासिक पल है, जो विज्ञान, बच्चों के स्वास्थ्य और मलेरिया रोकथाम के लिए बड़ी कामयाबी साबित होगा।
भारत में भी हर साल मलेरिया के 3 लाख से ज्यादा केस
5 साल तक के बच्चों को मलेरिया का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। हर दो मिनट में एक बच्चे की मलेरिया से मौत होती है। 2019 में दुनियाभर में मलेरिया से 4.09 लाख मौतें हुई थीं, इनमें 67% यानी 2.74 वे बच्चे थे, जिनकी उम्र 5 साल से कम थी। भारत में 2019 में मलेरिया के 3 लाख 38 हजार 494 केस आए थे और 77 लोगों की मौत हुई थी। पिछले 5 सालों में भारत में मलेरिया से सबसे ज्यादा 384 मौतें 2015 में हुई थीं। इसके बाद से मौतों का आंकड़ा कम हुआ है।