हिंदी कमजोर थी, उसूलों के पक्के थे; कुछ खास थे देश के पहले आर्मी चीफ !

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Shivasheesh Tiwari
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हिंदी कमजोर थी, उसूलों के पक्के थे; कुछ खास थे देश के पहले आर्मी चीफ !

फील्ड मार्शल केएम करियप्पा देश के पहले आर्मी चीफ थे। करियप्पा 28 जनवरी 1899 को कर्नाटक के कोडागू में पैदा हुए थे। उनका पूरा नाम है- कोडंडेरा मडप्पा करियप्पा। केएम करियप्पा को किपर भी कहा जाता था। 15 मई 1993 को उन्होंने बेंगलुरु में अंतिम सांस ली। मप्र के इंदौर में करियप्पा ने आर्मी की ट्रेनिंग ली थी। करियप्पा 1919 में आर्मी में कमीशंड हुए थे।
करियप्पा 1942 में एक यूनिट के कमांडेंट बनाए गए थे। ये उपलब्धि हासिल करने वाले वे पहले भारतीय अफसर थे। करियप्पा ने सेकंड वर्ल्ड वॉर में भी हिस्सा लिया था। आजादी के बाद पीएम नेहरू ने एक अहम बैठक बुलाई। इसमें नए आर्मी चीफ के लेकर फैसला होना था। नेहरू चाहते थे कि किसी विदेशी को ही चीफ बनाया जाए। नेहरू के मुताबिक- भारतीय को सेना लीड का अनुभव नहीं था। एक अफसर ने कहा- हमें देश चलाने का अनुभव नहीं है। तो क्या विदेशी प्रधानमंत्री बना दिया जाए?
जिस अफसर ने नेहरू से सवाल किया, वो नाथू सिंह राठौड़ थे। नेहरू ने कहा- आप ही आर्मी चीफ बन जाइए। नाथू बोले- आर्मी चीफ बनने के लिए करियप्पा कैपेबल हैं। करियप्पा सर फ्रांसिस बुचर के स्थान पर आर्मी चीफ बने।

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