आश्विन मास आज से, पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम; क्या करें और क्या न करें इस महीने में, जानें सब कुछ

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The Sootr CG
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आश्विन मास आज से, पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम; क्या करें और क्या न करें इस महीने में, जानें सब कुछ

BHOPAL. हिंदू कैलेंडर का नया माह आश्विन (Ashwin Month) का प्रारंभ 11 सितंबर दिन रविवार से हो रहा है। यह माह धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस माह में पितृ पक्ष पितरों की पूजा के लिए समर्पित होता है। उसके बाद देवी मां दुर्गा की आराधना को समर्पित शारदीय नवरात्रि (Navratri) का प्रारंभ शुरू हो जाता है। इस माह का 15 दिन पितरों के लिए के लिए होता है। इस दौरान सभी लोग अपने-अपने पितरों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना, पूजा, तर्पण, पिंडदान आदि करते हैं।



पितृ पक्ष में इन बातों का ध्यान रखें



धर्मशास्त्रियों की माने तो भाद्रपद की पूर्णिमा और अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पितृ पक्ष कहा जाता है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध भी होता है। पितृपक्ष में श्राद्ध करने से पितृगण प्रसन्न रहते हैं। पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण या पिंडदान किया जाता है। श्राद्ध पक्ष में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इन दिनों में कोई नई चीजों को भी नहीं खरीदना चाहिए। साथ ही इस दौरान सात्विक भोजन बनाना चाहिए। तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। श्राद्ध कर्म के दौरान लोहे का बर्तन में खाना पकाने से बचना चाहिए। पितृपक्ष में पीतल, तांबा या अन्य धातु के बर्तनों का प्रयोग करना चाहिए। इस दौरान बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए। बाल और दाढ़ी कटवाने से धन की हानि होती है। श्राद्ध पक्ष में लहसुन, प्याज से बना भोजन नहीं करना चाहिए।



आश्विन मास में क्या न करें 



आश्विन मास में कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए। इस महीने दूध का प्रयोग वर्जित है। जहां तक सम्भव हो करेला खाने से बचें। इस माह में शरीर को ढक कर रखें। आश्विन में बैंगन, मूली, मसूर की दाल, चना आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए। प्याज-लहसुन या तामसिक भोजन की जगह सात्विक खाने पर जोर देना चाहिए। मांस या मदिरा पान से भी परहेज करें।



कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध ?



भविष्य पुराण के अनुसार, श्राद्ध 12 प्रकार के होते हैं। इन सभी का अलग-अलग महत्व धर्म  ग्रंथों में बताया गया है। किस समय कौन-सा श्राद्ध करना चाहिए। इसके बारे में योग्य ब्राह्मण से चर्चा करनी चाहिए। ये हैं 12 प्रकार के श्राद्ध-  1. नित्य, 1. नैमित्तिक, 3. काम्य, 4. वृद्धि, 5. सपिण्डन, 6. पार्वण, 7. गोष्ठी, 8. शुद्धर्थ, 9. कर्मांग, 10. दैविक, 11. यात्रार्थ, 12. पुष्टयर्थ।



इस मास के मुख्य दिन



पितृ पक्ष, अंगारकी चतुर्थी, विश्वकर्मा जयंती, कन्या संक्रांति, महालक्ष्मी व्रत समापन, इंदिरा एकादशी, महालय श्राद्ध पक्ष पूर्ण, शारदीय नवरात्रि, अग्रसेन जयंती, पापांकुशा एकादशी आदि इस माह के प्रमुख व्रत और पर्व है।


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