BHOPAL. आज 24 अक्टूबर को देशभर में दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। दिवाली अंधकार पर प्रकाश की जीत का त्योहार है। दिवाली पर लोग घर, दुकान, ऑफिस में मां लक्ष्मी-गणेश, मां महाकाली, मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी की पूजा प्रदोषकाल और मध्यरात्रि में स्थिर लग्न में उत्तम मानी गई है। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा बहुत जरूरी है। करीब दो हजार साल बाद दीपावली पर बुध, गुरु, शुक्र और शनि खुद की राशि में होंगे। साथ ही लक्ष्मी पूजा के समय पांच राजयोग भी रहेंगे। हम आपको बता रहे हैं कि कब, कैसे और किस विधि से मां लक्ष्मी का आह्वान करें और उनकी पूजा करें...
- कार्तिक अमावस्या तिथि शुरू- 24 अक्टूबर 2022, शाम 5.27 बजे
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर 2022, शाम 4.18 बजे
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त (शाम)- 7.02 PM से 08.23 PM (24 अक्टूबर 2022)
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त (मध्यरात्रि) - 24 अक्टूबर 2022, 11.46 PM-25 अक्टूबर 2022, 12.37 AM
दिवाली 2022 लक्ष्मी पूजा शुभ चौघड़िया
- प्रदोष काल - 05.50 PM से 08:23 PM
वृषभ काल - 07:02 PM से 08.58 PM
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 05:27 PM से 05:50 PM
शाम मुहूर्त (चर) - 05:50 PM से 07:26 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 10:36 PM से 12:11 AM
दिवाली पूजन के लिए सामग्री
- रोली, कुमकुम, चंदन, अष्टगंध, अक्षत, लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा या फोटो।
पूजा की चौकी, लाल कपड़ा, पान, सुपारी, पंचामृत, हल्दी, रुई या लाल धागे की बत्ती।
नारियल, गंगाजल, फल, फूल, कमल गट्टा, कलश, आम के पत्ते, मौली।
जनेऊ, दूर्वा, कपूर, दक्षिणा, धूप, दो बड़े दीपक, गेहूं, खील, बताशे।
दिवाली पर कैसे करें ऑफिस, दुकान में लक्ष्मी पूजा
दिवाली की रात मां लक्ष्मी स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर विचरण करती हैं। दिवाली के दिन ऑफिस और दुकान में अच्छी तरह सफाई करें, कार्यस्थल पर फूलों, लाइटों, रंगोली, सजावट की जाती है। कहते हैं कि जहां प्रकाश होता है, वहां मां लक्ष्मी अपने अंश रूप में निवास करने लगती हैं।
- दुकान या ऑफिस में पूजा स्थल पर देवी लक्ष्मी और गणपति जी की मूर्ति का पंचोपचार से पूजन करें। उन्हें अष्टगंध, पुष्प, खील, बताशे, मिठाई, फल अर्पित करें।
इसके बाद बहीखातों की पूजा की जाती है।
नए बहीखातों में कुमकुम से स्वास्तिक और शुभ-लाभ बनाकर अक्षत और पुष्प अर्पित करें।
धन की देवी से व्यवसाय में तरक्की और समृद्धि की कामना करें और आरती कर सभी में प्रसाद बांट दें।
किस प्रतिमा की पूजा करें?
दिवाली पर गणेशजी और माता लक्ष्मी की बैठी हुई मुद्रा की मूर्ति पूजा करनी चाहिए। खड़ी मुद्रा की प्रतिमा उग्र स्वभाव की मानी जाती है।
दीपावली के दिन क्या क्या देखना शुभ?
दिवाली के दिन उल्लू, छिपकली, छछूंदर, बिल्ली का दिखना बेहद ही शुभ माना जाता है। दिवाली की रात यदि किसी व्यक्ति को इनमें से कोई एक भी जानवर दिखाई दे तो ये भाग्योदय का संकेत होता है।
दिवाली पर पितरों का भी पूजन
कार्तिक अमावस्या यानी दिवाली के दिन पर पितरों का पूजन भी किया जाता है. ध्यान रखें कि पितरों का पूजन दक्षिण दिशा की ओर मुख करके किया जाता है। यमराज अमावस्या तिथि के स्वामी यमराज माने गए हैं। इस वजह से दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के साथ ही यमराज की पूजा भी करें।
दिवाली पर घर में लक्ष्मी पूजा विधि
- दिवाली के दिन सफाई कर घर की चौखट पर मां लक्ष्मी के चरण चिह्न, रंगोली, शुभ-लाभ, स्वास्तिक बनाएं, द्वार पर गेंदे के फूल और आम के पत्तों से बना बंदनवार लगाएं।
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की नवीन बैठी हुई प्रतिमा की पूजा करना शुभ होता है। प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर गंगाजल या गौमूत्र छिड़कें। पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती की मूर्ति की पूर्व दिशा या पश्चिम दिशा की ओर मुख करते हुए स्थापित करें।
स्थापना मंत्र - या सा पद्मासनास्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी, गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया, या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितै: स्वापिता हेम-कुम्भै:, सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व -मांगल्य-युक्ता
चौकी पर मूर्ति के पास जल से भरा कलश चावल की ढेरी पर रखें। इस पर आम के पत्ते डालकर ऊपर से लाल वस्त्र में लपेटा नारियल रख दें। ये वरुणदेव का प्रतीक होता है।
मां लक्ष्मी के बाईं ओर घी का दीपक और अपने हाथ के दाएं ओर तेल का दीपक लगाएं। घी के लिए रुई, जबकि तेल के लिए लाल धागे की बत्ती का उपयोग करें। इसमें उचित मात्रा में घी-तेल डालें, ताकि पूजा खत्म होने तक ये प्रज्ज्वलित रहें। पूरे घर-आंगन में 11, 21 या 51 तेल की दीपक लगाएं।
कुबेर देवता की पूजा के लिए मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने चांदी या कांसे की थाल पर रोली से स्वातिक बनाकर अक्षत डालें और इसमें चांदी के सिक्के, गहने, रखें. मां लक्ष्मी की मूर्ति को भी सोने चांदी से निर्मित गहने पहनाएं।
दीप प्रज्ज्वलित कर सभी देवी-देवता और नवग्रह का आह्वान करें। सर्वप्रथम भगवान गणेश को चंदन का तिलक लगाकर, जनेऊ, अक्षत, फूल, दूर्वा अर्पित करें। अगर देवी लक्ष्मी की मूर्ति पीतल या चांदी की है तो दक्षिणावर्ती शंख में जल और पंचामृत डालकर अभिषेक करें। इस दिन श्रीयंत्र की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है।
महालक्ष्मी और देवी सरस्वती की षोडशोपचार पूजन करें। रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, मेहंदी, अक्षत, पान, सुपारी, अबीर, गुलाल, कमल का फूल, कलावा, पंचामृत, फल, मिठाई, खील बताशे, इत्र, पंचरत्न, खीर, पीली कौड़ी, गन्ना, नारियल आदि अर्पित करें।
दिवाली पर मां काली की विशेष पूजा की जाती है लेकिन गृहस्थ जीवन वालों को देवी काली की सामान्य रूप से पूजा करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार स्याही, दवात को काली देवी के प्रतीक रूप में पूजा जाता है।
पूजा में मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। इस दिन तिजोरी, बहीखाता और व्यापारिक उपकरणों की भी पूजा करनी चाहिए. दिवाली की रात श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त, लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना उत्तम माना गया है।
देवी लक्ष्मी की आरती कर पुरुष साष्टांग प्रणाम और महिलाएं हाथ जोड़कर देवी से क्षमा प्रार्थना करें। सभी में प्रसाद बांटे और जरूरतमंदों को अन्न, गर्म कपड़े सामर्थ्य अनुसार दान करें।
लक्ष्मी जी का मंत्र- महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि। हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे। पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे सर्वभूत हितार्थाय,वसु सृष्टिं सदा कुरुं॥
(Disclaimer- ये सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। thesootr.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है)