Jabalpur.गंगा दशहरा के पूर्व बुधवार को लगातार 10 वे वर्ष हरे कृष्णा आश्रम भेड़ाघाट में बेनगंगा पुल पर मां नर्मदा बेनगंगा संगम पर आश्रम से उस पार तक 900 फुट की चुनरी से श्रृंगार किया गया l इस अवसर पर आश्रम के संस्थापक स्वामी रामचंद्र दास महाराज ने कहा की नर्मदा तीर्थ क्षेत्र भेड़ाघाट में बाणासुर नाम के राक्षस ने भगवान शंकर की घोर तपस्या कर करोड़ों शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की, वह सभी शिवलिंग गंगा तट ले जाने लगा तब वहां के संत महात्मा, ऋषि-मुनियों ने भगवान शंकर से प्रार्थना की और कहा कि यहां का वातावरण बदल जाएगा, तब भगवान शंकर ने बाणासुर नाम के राक्षस को आशीर्वाद दिया की जहां से बाण मारोगे वहीं से गंगा मैया का प्राकट्य होगा l शिवलिंग वही विसर्जित कर दो l तभी से इस नदी का नाम बाणगंगा हो गया, इसे बाद में बैनगंगा के नाम से जाना जाने लगा l यहाँ हजारो वर्ष पूर्व बुढी नर्मदा भी निकलती थी, जिसका पुराणों में उल्लेख है l चुनरी अर्पण कार्यक्रम में नर्मदा महाआरती के संस्थापक डॉ.सुधीर अग्रवाल ,डॉ.शिव शंकर पटेल, कर्मचारी नेता पंडित योगेंद्र दुबे ,पंडित मनमोहन दुबे आदि उपस्थित थे l
नर्मदा की सहायक नदियों को बचाना जरूरी
आश्रम के संस्थापक स्वामी रामचंद्र दास महाराज ने कहा कि नर्मदा की निर्मल और अविरल धारा के संरक्षण के लिए नर्मदा की सहायक नदियों को बचाना जरूरी है। उन्होने कहा कि नर्मदा के पास गंगा की तरह जलस्त्रोत के रूप में कोई ग्लैशियर नहीं है। यह मैकल पर्वत के वनों, सहायक नदियों और नालों से ही अविरल बहती है। इसलिए सहायक नदियों का अस्तित्व बचाना भी जरूरी है।