आज की रात काल भैरव स्तुति का पाठ करने से सुबह होने लगेंगे चमत्कार

अगर भैरव जंयती के दिन मध्य रात्रि में नीचे दी गई भैरव बाबा की विशेष स्तुति “भैरव अष्टक का पाठ 5 बार करने से राहु-केतु की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है, साथ ही जीवन में अनेक तरह के शुभ चमत्कार होने लगते हैं।

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Shyam Kishor Suryawanshi
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As soon as you recite Kaal Bhairav ​​Stuti tonight, miracles will start happening in the morning
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काल भैरव अष्टक- आज और कल भगवान काल भैरव जो कि भगवान शंकर जी के ही स्वरूप हैं। बाबा काल भैरव जी इस कलयुग की सभी बाधाओं का शीघ्र निवारण करने वाले देवता माने जाते हैं। विशेष रूप से भूत-प्रेत एवं तांत्रिक बाधांओ के दोषों का निवारण केवल भैरव बाबा के पूजन से दूर हो जाता है। अगर अपनी संतान की दीर्घायु, या किसी को कोई गंभीर रोग या बीमारी हो तो भगवान भैरव का स्मरण और पूजन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। अगर भैरव जंयती के दिन मध्य रात्रि में नीचे दी गई भैरव बाबा की विशेष स्तुति “भैरव अष्टकका पाठ 5 बार करने से राहु-केतु की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है, साथ ही जीवन में अनेक तरह के शुभ चमत्कार होने लगते हैं।

अथ काल भैरव अष्टकम् पाठ विधि

इस स्तुति का पाठ करने से पूर्व विधिवत बाबा काल भैरव का पूजन करें, पूजन में आटे से बना हुआ चार बत्ती वाला दीपक जिसे गाय का शुद्ध घी ही होना चाहिए जिसे अपनी मन की कामना भगवान काल भैरव को बताते हुए जलाना चाहिए, साथ ही दीपक में एक चुटकी हल्दी, पीली सरसो के दाने एवं काली भी डालने हर कार्य में चमत्कारों से भरी हुई सफलता मिलने लगती है।

देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ।।1।। 

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।

कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥2॥

शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥3॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥4॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम्।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥5॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।

मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥6॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम्।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥7॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥8॥

॥फल श्रुति॥

कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम्।

शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम्॥

॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम्॥

 

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