ब्रज की होली : 40 दिनों तक रंगों का उत्सव, दुनियाभर से श्रद्धालु होते हैं शामिल

ब्रज की होली एक अनोखा उत्सव है, जो 40 दिनों तक चलता है, हर दिन नए रंग और परंपराओं से भरपूर होता है। बसंत पंचमी से शुरू होकर, यह त्योहार देश-विदेश से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

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Kaushiki
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ब्रज में होली का त्योहार सिर्फ एक दिन का नहीं है, बल्कि यह पूरे 40 दिनों तक चलता है। हर साल की तरह इस बार भी ब्रज क्षेत्र में बसंत पंचमी के दिन से होली का शुभारंभ हो गया है। यह उत्सव विशेष रूप से इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है और यहां के लोग इसे बहुत धूमधाम से मनाते हैं।

बता दें कि, ब्रज क्षेत्र में होली का आयोजन न केवल भारत से, बल्कि विदेशों से भी हजारों श्रद्धालु यहां आने के लिए आकर्षित होते हैं। होली के इन 40 दिनों के दौरान हर दिन नए रंग और परंपराओं के साथ उत्सव मनाया जाता है, जो इसे और भी खास बनाता है।

बसंत पंचमी से होली की शुरुआत

ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। इस दिन से ही लोग रंगों और खुशियों से भरे इस त्यौहार की तैयारी में जुट जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन विशेष रूप से श्री कृष्ण की पूजा की जाती है और उनके भक्त इस दिन से होली के रंगों में डूब जाते हैं। इसे लेकर विभिन्न प्रकार के आयोजन होते हैं, जिसमें लोक संगीत, नृत्य और पूजा का आयोजन होता है। इस दिन के बाद धीरे-धीरे होली का उत्सव पूरे 40 दिनों तक चलता है, और हर दिन नए रंगों और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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ब्रज की होली की विशेषताएं

ब्रज की होली अन्य स्थानों से बिल्कुल अलग है। यहां परंपरागत रूप से रंग खेलने के अलावा, ढोल-नगाड़े की धुन पर नृत्य, राधा-कृष्ण के लीला चित्रण और होली गीत गाने की परंपरा है। इस दौरान, विशेष रूप से वृंदावन, मथुरा, गोवर्धन और बरसाना जैसे स्थानों पर होली के आयोजन बेहद आकर्षक होते हैं। लोग एक-दूसरे पर गुलाल और रंग डालते हैं और सख्त पारंपरिक रस्मों के साथ यह उत्सव मनाते हैं। इस दौरान विभिन्न मंदिरों में होली के विशेष आयोजन होते हैं, जो दर्शकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव देते हैं।

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होली के दौरान धार्मिक अनुष्ठान

ब्रज क्षेत्र की होली में धार्मिक अनुष्ठान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। होली के दिनों में विशेष रूप से राधा-कृष्ण के मंदिरों में पूजा और भजन कीर्तन आयोजित किए जाते हैं। वृंदावन, मथुरा और बरसाना जैसे स्थानों पर राधा और कृष्ण के रिश्ते का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। इस रिश्ते को दर्शाने वाले अनुष्ठान और रचनाएं इन दिनों विशेष रूप से की जाती हैं। होली का ये समय कृष्ण भक्ति का सर्वोत्तम अवसर होता है, जहां भक्त रंगों के साथ-साथ कृष्ण की लीलाओं में भी मग्न होते हैं।

होली में विदेशी श्रद्धालुओं की भागीदारी

ब्रज में होली के उत्सव का आकर्षण न केवल भारत के नागरिकों को, बल्कि विदेशों से आए श्रद्धालुओं को भी अपनी ओर खींचता है। हर साल, हजारों विदेशी पर्यटक और श्रद्धालु इस दौरान ब्रज पहुंचते हैं। भारत और विदेशों के लोग इस पारंपरिक होली उत्सव का हिस्सा बनने के लिए यहां आते हैं और ब्रज की संस्कृति और परंपराओं को करीब से समझने की कोशिश करते हैं। यह सांस्कृतिक मिलन स्थल बन जाता है, जहां हर साल दुनिया भर से लोग एकजुट होते हैं और इस अद्वितीय उत्सव का आनंद लेते हैं।

भक्ति के रंगों से रंगी ब्रज की होली -

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40 दिनों तक रंगों और खुशी का आनंद

ब्रज में होली का उत्सव 40 दिनों तक चलता है, और हर दिन यह अलग-अलग स्थानों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर रात को होली जलाने की परंपरा होती है, तो कुछ स्थानों पर विशेष रूप से होली के गीत गाए जाते हैं। ये 40 दिन विभिन्न आयोजनों और रंगों से भरपूर होते हैं, जिसमें भक्त अपने परिवार और मित्रों के साथ रंग खेलते हैं, नृत्य करते हैं और कृष्ण भक्ति में लीन होते हैं। इस दौरान ब्रज क्षेत्र के लोग न केवल होली खेलते हैं, बल्कि उनके जीवन में खुशियाँ और प्रेम का संचार होता है।

FAQ

ब्रज में होली कब शुरू होती है?
ब्रज में होली का उत्सव बसंत पंचमी से शुरू होता है और 40 दिनों तक चलता है।
ब्रज की होली में कौन सी विशेष परंपराएं होती हैं?
ब्रज में होली के दौरान कृष्ण भक्ति, रंग खेलने के साथ-साथ ढोल-नगाड़े और पारंपरिक गीतों का आयोजन होता है।
क्या ब्रज की होली सिर्फ भारतीयों तक सीमित है?
नहीं, ब्रज की होली में विदेशी श्रद्धालु भी शामिल होते हैं और यहां हर साल हजारों विदेशी पर्यटक आते हैं।
ब्रज की होली में कितने दिन तक उत्सव मनाया जाता है?
ब्रज में होली का उत्सव पूरे 40 दिनों तक चलता है।
ब्रज की होली के धार्मिक महत्व के बारे में क्या खास है?
ब्रज की होली में राधा-कृष्ण के साथ प्रेम और भक्ति की विशेष अभिव्यक्ति होती है, जो इसे एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव बनाती है।

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