भारत सहित लगभग दुनिया के 160 देशों में ईसाई धर्म के लोग प्रत्येक वर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के रूप में सेलिब्रेट करते हैं। ईसाई धर्म की मान्यताओं के अनुसार 25 दिसंबर को ईसाई धर्म वाले श्रद्धालुओं के प्रभु यीशु यानी जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था। यही कारण है कि ये एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस डे ईसाई धर्म का सबसे प्रमुख त्योहार होता है जो कि हर साल 25 दिसंबर को बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
केरोल गाते हैं
देश-दुनिया भर के गिरजाघरों (चर्चों) में जिसे ईसाई धर्म का मंदिर कहा जाता है वहां पर बेल की गूंज लाइटिंग और तरह-तरह की सजावट से उसे सजाया जाता है। इस पर्व क्रिसमस डे को ईसाई धर्म के सभी लोग अपने-अपने घरों में सजावट करने के साथ विशेष प्रकार के केक बनाकर एक दूसरे का मुंह मीठा कराते हैं। इसके बाद सभी ईसाई समुदाय के लोग केरोल गाते हैं और सबकी खुशहाली के लिए प्रार्थनाएं करते हैं।
क्रिसमस ट्री लगाते हैं
ईसाई धर्म की कथाओं के अनुसार इस दिन प्रभु यीशु मसीह का जन्म हुआ था, जिसकी खुशी में चर्चों को सजाकर क्रिसमस ट्री भी लगाते हैं और एक दूसरे को उपहार भी देते हैं। ईसाई धर्म का मानना है कि क्रिसमस ट्री की शुरुआत हजारों वर्ष पहले उत्तरी यूरोप में हुई थी।
बैथलहम में हुआ था प्रभु यीशु का जन्म
प्रभु यीशु जो कि ईसाई धर्म के भगवान माने जाते हैं जिन्हें जीसस क्राइस्ट कहते हैं और जिनका जन्म यहूदिया पर्वत के दक्षिणी भाग पर स्थित बैथलहम शहर में, माता मैरी और पिता जोसेफ के घर हुआ था। सेक्सटस सम जूलियस अफ्रीकनस ने 221 ईस्वी में पहली बार 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के नाम से सेलिब्रेट किया था तभी से पूरी दुनिया में 25 दिसंबर को क्रिसमस डे का पर्व ईसाई धर्म के लोग मानने लगे।