तिब्बत में बौद्ध धर्म के 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। हालांकि अभी इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
लेकिन खुद दलाई लामा ने अपनी किताब में इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने 90वें जन्मदिन के आसपास इस विषय पर कुछ अहम बातें साझा करेंगे।
दलाई लामा के 90वें जन्मदिन का आयोजन 6 जुलाई को होने जा रहा है, और इस अवसर पर धर्मशाला के मैकलोडगंज में तीन दिवसीय समारोह का आयोजन भी किया जा रहा है।
दलाई लामा के उत्तराधिकारी की खोज तिब्बत, भारत और चीन के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुकी है। आइए जानते हैं दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव कैसे किया जाता है और इस प्रक्रिया में चीन का क्या रोल है।
🔍 दलाई लामा की पहचान की प्रक्रिया
तिब्बत में दलाई लामा का चुनाव एक प्राचीन परंपरा पर आधारित है। इस परंपरा के अनुसार, जब एक दलाई लामा का निधन होता है, तो उसका पुनर्जन्म होता है और नया दलाई लामा उसी रूप में प्रकट होता है।
यह माना जाता है कि दलाई लामा की मृत्यु के 9 महीने बाद, उनका नया जन्म लिया हुआ रूप पहचाना जाता है। कभी-कभी दलाई लामा अपनी मृत्यु से पहले संकेत देते हैं, जिन्हें आधार बनाकर उनके उत्तराधिकारी का चुनाव किया जाता है।
🧸 बच्चा कैसे चुना जाता है?
नए दलाई लामा का चुनाव विशेष प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जिसमें बच्चे को विभिन्न वस्तुएं दिखाई जाती हैं, जो पुराने दलाई लामा से जुड़ी होती हैं।
जिन बच्चों में इन वस्तुओं को पहचानने की क्षमता होती है, उन्हें ही नया दलाई लामा माना जाता है। 14वें दलाई लामा ने भी अपनी पहचान दो साल की उम्र में की थी, जब उन्होंने 13वें दलाई लामा की चीजों को पहचान लिया था।
इसके अलावा, सोने के कलश से भी नाम निकाले जाते हैं, जिनमें दलाई लामा के संभावित उत्तराधिकारी के नाम होते हैं।
✨ इंद्रधनुष से पहचान की परंपरा
1758 में 8वें दलाई लामा की पहचान इंद्रधनुष से की गई थी। माना जाता है कि जब इंद्रधनुष आकाश में उत्पन्न हुआ, तो वह 8वें दलाई लामा की मां के ऊपर से गुज़रा था, और इसके बाद यह प्रक्रिया शुरू हुई।
यह एक धार्मिक और आध्यात्मिक संकेत माना जाता है, जिससे बच्चे की पहचान की जाती है।
चीन का दलाई लामा के चयन में हस्तक्षेप
चीन और दलाई लामा के बीच 1950 के दशक से विवाद जारी है। चीन का आरोप है कि दलाई लामा अलगाववादी हैं और उनकी गतिविधियां तिब्बत की संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।
चीन यह भी कहता है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन केवल उसके नेतृत्व के अधिकार में होना चाहिए। इसके अनुसार, चीन पुराने समय से चली आ रही परंपरा के तहत सोने के कलश से नाम निकालने की प्रक्रिया का पालन करता है।
🌏 तिब्बतियों की चिंता
तिब्बतियों का मानना है कि चीन का यह कदम तिब्बत के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए है। वे यह भी मानते हैं कि चीन अपनी सत्ता बढ़ाने के लिए दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन में हस्तक्षेप कर रहा है।
तिब्बती समुदाय यह चाहती है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी स्वतंत्र रूप से और तिब्बती परंपराओं के अनुसार चुना जाए।
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