10 अक्टूबर 2024
मां महागौरी
मां महागौरी की कथा
मां महागौरी के गौर वर्ण को लेकर दो कथाएं प्रचलित हैं। इसमें से पहली कथा के अनुसार मां महागौरी 16 वर्ष की अविवाहित कन्या हैं। वह भगवान शिव को प्रसन्न करने और शिव को पति रूप में पाने के लिए सालों तक कठोर तपस्या करती है। तप के कारण उनका शरीर काला पड़ जाता है। आखिरकार भगवान शिव महागौरी की तपस्या से प्रसन्न होते हैं और उनसे विवाह करने का वचन देते हैं। शिवजी ने महागौरी के शरीर को गंगाजल से धोया जिसके बाद उनका रंग गौर हो गया। इसलिए इनका नाम महागौरी पड़ा।
मां महागौरी की दूसरी कथा
दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों का वध करने के बाद भोलनाथ ने देवी पार्वती को मां काली कहकर चिढ़ाया था। माता ने उत्तेजित होकर अपनी त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक कड़ी तपस्या की और ब्रह्मा जी को अर्घ्य दिया। देवी पार्वती से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिमालय के मानसरोवर नदी में स्नान करने की सलाह दी। ब्रह्मा जी के सलाह को मानते हुए मां पार्वती ने मानसरोवर में स्नान किया। इस नदी में स्नान करने के बाद माता का स्वरूप गौरवर्ण हो गया। इसलिए माता के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया।
मां महागौरी की पूजा विधि
मां महागौरी के पूजन के लिए सुबह जल्दी उठकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर में किसी साफ स्थान पर पूजा के लिए चौकी स्थापित करें। इस चौकी के ऊपर देवी महागौरी की तस्वीर स्थापित करें। चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं, देवी को कुमकुम का तिलक लगाएं। देवी के चित्र पर फूलों की माला पहनाएं। इसके बाद अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, चावल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। देवी महागौरी को नारियल या उससे बनी मिठाई का भोग लगाएं।
मां महागौरी का भोग
माता महागौरी को नारियल से बनी मिठाईयों का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा माता को हलवे और काले चने का भोग भी लगाना चाहिए।
मां महागौरी का मंत्र
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।।
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।।
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।।
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।
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