इस साल यानी 2021 में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ रहे हैं। अगस्त महीने का पहला प्रदोष व्रत 5 अगस्त को है। इसे सावन का पहला प्रदोष व्रत भी कहा जाता है, जो भगवान शिव का समर्पित है। आइए जानते हैं क्या है प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त और महत्व...
क्या है व्रत के नियम
वैसे तो प्रदोष व्रत निर्जला रखा जाता है। इस व्रत में फलाहार का विशेष महत्व होता है। ये व्रत पूरे दिन का होता है। मान्यता है कि व्रत के दौरान अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत के समय एक बार ही फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त
श्रावण, कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि 5 अगस्त की शाम 05 बजकर 09 मिनट पर आरंभ होगी। श्रावण, कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि 6 अगस्त की शाम 06 बजकर 28 मिनट पर खत्म होगी। प्रदोष काल 07 बजकर 09 मिनट से 09 बजकर 16 मिनट पर होगा।
प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का महत्व
भक्त कष्टों को दूर करने और सुखी जीवन जीने के लिए प्रदोष का व्रत करते हैं। प्रदोष व्रत पर, लोग स्वास्थ्य, धन और सौभाग्य के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती की आराधना करते हैं। भक्त प्रदोष काल में व्रत रखने से साथ भगवान शिव की पूजा- अर्चना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। भक्त के सभी संकट भी दूर हो जाते हैं।