गंगा दशहरा महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, जो हर साल ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व गंगा नदी के धरती पर अवतरण की याद में मनाया जाता है।
इसे धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, तर्पण और दान के माध्यम से भी व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाता है। इस बार ये पर्व 5 जून को मनाया जाएगा।
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भगवान विष्णु को क्या भोग अर्पित करें
गंगा दशहरा के दिन, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की वस्तुएं जैसे पीले फूल, पीले वस्त्र, हल्दी और केसर का उपयोग किया जाता है।
विशेष रूप से केले और पंचामृत (दूध, दही, शहद, चीनी और घी का मिश्रण) भगवान विष्णु को अर्पित किए जाते हैं। इन चीजों का भोग अर्पित करने से समृद्धि, शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
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घर में कैसे करें पूजा
अगर आप गंगा नदी के किनारे स्नान करने नहीं जा सकते तो आप घर में भी गंगा जल का अभिषेक कर पूजा कर सकते हैं। पहले स्नान करें और फिर गंगा जल से शरीर का अभिषेक करके विशेष मंत्रों का जाप करें। इस विधि से जीवन में समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। घर पर भी गंगा जल से पूजा करने से पवित्रता और पुण्य की प्राप्ति होती है।
क्या दान करें
गंगा दशहरा के दिन दान करना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। गर्मी के मौसम में पंखे, मटके और पानी का दान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा, गंगा के जल में स्नान करने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, या शीतल पेय का दान करना चाहिए। यह न केवल शारीरिक शांति प्रदान करता है, बल्कि मन की शांति भी लाता है।
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गंगा दशहरा पर किन गलतियों से बचें
गंगा दशहरा के दिन कुछ गलतियां करने से पुण्य की प्राप्ति में रुकावट आ सकती है। भूलकर भी गंगा जल को अपवित्र न करें और इसे गंदी जगहों पर न फेंके।
पूजा और स्नान के समय एकाग्रता बनाए रखें और नकारात्मक भावनाओं से बचें। यह दिन सकारात्मकता का प्रतीक होता है, इसलिए इस दिन को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए।
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