हरियाली अमावस्या 2024 : ऐसे करें पूजा, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

सावन माह की हरियाली अमावस्या आज 4 अगस्त सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र के संयोग में मनाई जाएगी। हर साल सावन महीने में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है।

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Ravi Singh
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Hariyali Amavasya 2024
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सावन माह की हरियाली अमावस्या आज 4 अगस्त सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र के संयोग में मनाई जाएगी। हर साल सावन महीने में पड़ने वाली अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में सावन माह की अमावस्या का विशेष महत्व होता है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है, इसलिए श्रावण मास की अमावस्या को भी बहुत ही महत्वपुर्ण माना जाता है।

हरियाली अमावस्या पर सिद्धि योग

हरियाली अमावस्या के दिन पूर्वजों की स्मृति में पिंडदान और दान-पुण्य किए जाते हैं। हरियाली अमावस्या पर सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है, जिसके कारण शास्त्रों में अपने पूर्वजों की याद में पौधे लगाना शुभ माना है। विशेष वृक्षों की पूजा से ग्रह दोष दूर होते हैं और सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

हरियाली शृंगार आज

अमावस्या पर दान पुण्य के साथ मंदिरों में भी हरे रंग के श्रृंगार किए जाएंगे। शिव मंदिर सहित मंदिरों में भगवान को हरि पोशाक के साथ हरे पत्तों आदि से श्रृंगार किया भी किया जाएगा। संस्थाओं की ओर से वृद्धाश्रमों में भोजन करवाने के साथ पौधरोपण भी किया जाएगा।

हरियाली अमावस्या का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, हरियाली अमावस्या के दिन हर व्यक्ति को आज कोई न कोई पौधा आवश्य लगाना चाहिए। अगर इस दिन न लगा सके तो आज से आने वाले आठ दिन तक कभी भी लगा लें। हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा करने से प्यार, पैसा और कामयाबी हासिल होती है। साथ ही इस दिन पितरों के निमित दान-पुण्य का भी बहुत अधिक महत्व है। 

स्नान-दान का शुभ मुहूर्त : सावन अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और दान के कार्य बेहद शुभ माने गए हैं।

पूजा का शुभ मुहूर्त : हरियाली अमावस्या के दिन अभिजीत मुहूर्त में पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त रहेगा। इस दौरान शिवजी की पूजा-आराधना से शुभ फलों की प्राप्ति होगी।

हरियाली अमावस्या पर बन रहा रविपुष्य का योग

ज्योतिष शास्त में रविपुष्य योग को बहुत ही विशेष माना जाता है। जिस तरह गुरुवार का सम्बध देवताओं के गुरु बृहस्पति से माना जाता है, उसी तरह रविवार का सम्बध ग्रहों के राजा सूर्य देव के साथ माना जाता है। पुष्य नक्षत्र यदि रविवार को होता है, तो इसे रवि पुष्य योग कहा जाता है, जो काफी शुभ होता है।

ऐसे में हरियाली अमावस्या पर रविपुष्प योग के दौरान शुभ कार्य करना बहुत अधिक फलदायी है। रविपुष्य योग में पितरों की शांति के लिए पूजा-पाठ करना और दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए।

पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

हरियाली अमावस्या के दिन तांबे के लौटे में जल भरकर, उसमें गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ, दूब, शहद और फूल डालकर पितरों का तर्पण करना चाहिए। तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके हाथ में तिल और दूर्वा लेकर अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए पितरों को जल अर्पित करें। 

सुहागिनों को सुहागन का सामान दान करें​

हरियाली अमावस्या पर महिलाएं व्रत रखती हैं। ऐसे में सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को श्रृंगार सामग्री जैसे हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र, हरी बिंदी और मेंहदी दान कर सकती हैं। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है और पति की उम्र बढ़ती है।

हरियाली अमावस्या पर दीप जलाएं​

शाम के समय पांच दीप जलाकर एक दीप भगवान के पास पूजा घर में, दूसरा तुलसी के पास, तीसरा पितरों के लिए घर के बाहर दक्षिण मुंह करके रखें। चौथा दीप घर में जल के स्थान जैसा नल। पांचवां घर के मुख्य द्वार पर रखें। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी। देवी लक्ष्मी का घर में वास होगा और पितर प्रसन्न होकर आपको संतान और उन्नति प्रदान करेंगे।

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