अग्नि के बिना क्यों अधूरा है हिन्दू विवाह का पवित्र संस्कार, जानें इसके पीछे की कहानी

हिन्दू विवाह में अग्नि साक्षी ही मुख्य आधार है। इसके चारों ओर सात फेरे लेकर नवदंपत्ति जीवनभर साथ निभाने का संकल्प लेते हैं। ये पवित्र अग्नि उन्हें अटूट बंधन और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देती है।

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Kaushiki
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Latest Religious News: हिन्दू धर्म में विवाह को केवल एक सामाजिक समझौता नहीं मानते हैं। इसे जन्म-जन्मों का पवित्र बंधन और सोलह संस्कारों में से एक माना जाता है।

इस पूरे संस्कार में अग्नि देव की उपस्थिति सबसे ज्यादा महत्व रखती है। जब दूल्हा और दुल्हन सात फेरे लेते हैं, तो यह अग्नि ही उनकी सबसे बड़ी गवाह बनती है। अग्नि को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और पूज्यनीय माना गया है। 

अग्नि के चारों ओर ही सात फेरे क्यों? -

क्यों माना जाता है अग्नि को इतना खास 

पुराणों और शास्त्रों के मुताबिक, अग्नि को पंच तत्वों में से एक माना गया है। यह धरती और स्वर्ग के बीच एक सीधा संपर्क बनाती है। इसे अग्नि देव के नाम से पूजा जाता है। ये अग्नि धरती और देवलोक के बीच सीधा संबंध बनाती है।

इसलिए, अग्नि के सामने लिए गए वचन सीधे देवताओं तक पहुंच जाते हैं। इसलिए, जब दूल्हा-दुल्हन अग्नि के सामने खड़े होते हैं, तो वे अपने वादे सीधे देवताओं तक पहुंचाते हैं। यह विवाह को एक दिव्य बंधन का रूप देता है। अग्नि की उपस्थिति में लिया गया हर संकल्प सच्चा और अटूट माना जाता है।

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अग्नि की शुद्धता और पवित्रता

अग्नि में किसी भी चीज को शुद्ध कर देने की अद्भुत शक्ति होती है। यह हर तरह की नकारात्मकता और दोष को भस्म कर देती है। इसलिए, अग्नि देव की उपस्थिति में विवाह करने से यह रिश्ता भी पूरी तरह शुद्ध हो जाता है।

यह नवदंपत्ति को एक पवित्र और नई शुरुआत का आशीर्वाद देती है। विवाह में हवन कुंड में जो भी सामग्री डाली जाती है, उससे वातावरण भी शुद्ध होता है।

यह धुएं के रूप में देवताओं तक आहूति पहुंचाती है। इस पवित्रता के कारण ही हिन्दू विवाह को एक महान संस्कार माना जाता है। यह बंधन सिर्फ दो इंसानों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन होता है।

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हिन्दू विवाह में सात फेरे क्यों लिए जाते हैं?

सात फेरे और अग्नि का साथ

जब कोई दो लोग शादी करके रिश्ते में बंधते हैं, तो उन्हें एक मजबूत गवाह की जरूरत होती है। हिन्दू धर्म में, अग्नि से बड़ा और सच्चा गवाह कोई दूसरा नहीं हो सकता है।

अग्नि देव को 'हुताशन' भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है देवताओं तक संदेश पहुंचाने वाला। विवाह की रस्मों में सप्तपदी यानी सात फेरे सबसे जरूरी होते हैं।

ये सात फेरे, पति-पत्नी द्वारा एक-दूसरे को दिए गए सात वचन होते हैं। हर फेरे के साथ एक नया संकल्प जुड़ा होता है, जिसे जीवन भर निभाना होता है। ये सभी वचन अग्नि साक्षी में लिए जाते हैं, जिससे उनका महत्व और बढ़ जाता है।

डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें। धार्मिक अपडेट | dharm news today

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