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श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों की तृप्ति के लिए कई उपाय किए जाते हैं। 16 दिन तक चलने वाले पितृ पक्ष में तर्पण व श्राद्ध कर्म से प्रसन्न होकर पितृ खुश होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष के दौरान इंदिरा एकादशी का व्रत भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस एकादशी का व्रत करने वाले मनुष्य की सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष मिलता है।
जानें कब है व्रत
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष कि एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। इंदिरा एकादशी 2 अक्टूबर (2 october) को है। इस एकादशी पर विष्णु जी के अवतार भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सात पीढ़ियों तक के पितरों को मोक्ष मिलता है। साथ ही जो इस व्रत को करते है उनके लिए भी ये व्रत बेहद लाभदायक है। एकादशी तिथि 1 अक्टूबर, शुक्रवार को रात 11 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 02 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा। उदयातिथि की वजह से इंदिरा एकादशी व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा।
पूजन विधि
श्राद्ध पक्ष की एकादशी बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस व्रत के लिए धार्मिक क्रियाएं दशमी से शुरू करें। इसी दिन से घर में पूजा-पाठ करें और दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें। यदि नदी में संभव न हो, तो घर के पास के किसी जलाशय, या घर की छत पर भी तर्पण कर सकते हैं। इसके पश्चात ब्राह्मण भोज कराएं और फिर स्वयं भी भोजन कर लें। एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें और स्नान करने के बाद श्राद्ध विधि करें एवं ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इसके बाद गाय, कौवे और कुत्ते को भी भोजन कराएं। व्रत के अगले दिन द्वादशी को भी पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। इसके बाद परिवार के साथ मिलकर भोजन करें।