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BHOPAL. यदि आप पर शनि की ढैय्या, साढ़ेसाती, शनि की महादशा, राहु या केतु की महादशा चल रही है, तो लोहे की अंगूठी इसके प्रभाव को कम करती है। इसके साथ ही लोहे की अंगूठी आपको किसी भी तरह के नजर दोष से भी बचाती है। लोहे की अंगूठी हमेशा शनिवार के दिन शाम के वक्त ही धारण करनी चाहिए। इसके अलावा आप रोहिणी, पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में भी लोहे की अंगूठी पहन सकते हैं।
लोहे की अंगूठी पहनने की विधि
लोहे की अंगूठी को शनि देव के बीज मंत्र का उच्चारण करते हुए इसे पहनना है। इसके अलावा पुरुषों को अपने दाएं हाथ की बड़ी उंगली में इसे धारण करना चाहिए। महिलाओं को बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में लोहे की अंगूठी पहननी चाहिए। आपको बता दें कि मध्यमा उंगली शनि की उंगली कहलाती है।
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ये सावधानियां भी बरतें
- कभी भी दूसरे की उतारी हुई लोहे की अंगूठी नहीं पहननी चाहिए। हमेशा आपको अपनी अलग लोहे की अंगूठी खरीद कर पहननी चाहिए। अगर आप किसी और की उतारी हुई लोहे की अंगूठी पहनते हैं, तो उसका असर नहीं होता है।
किन लोगों को नहीं पहनना चाहिए लोहे का छल्ला
- जिन लोगों की कुंडली में बुध, सूर्य और शुक्र एक साथ हो, तो लोहे का छल्ला धारण करने से नुकसान ही नुकसान होता है। ग्रहों की ऐसी स्थिति में चांदी का छल्ला पहनना लाभकारी होगा।
किस तरह लोहे का छल्ला पहनना होगा लाभकारी
लोहे के छल्ले को पहनने से पहले पंडित को कुंडली जरूर दिखा लें कि आपको छल्ला पहनना शुभ होगा कि नहीं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लोहे के छल्ले को हमेशा शनिवार के दिन शाम के समय ही धारण करनी चाहिए, क्योंकि शनिवार का दिन शनिदेव का माना जाता है। शनिवार के अलावा लोहे का छल्ला रोहिणी, पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में भी पहन सकते हैं।