ज्येष्ठ पूर्णिमा पर विवाहित महिलाएं इस विधि से करें स्नान और दान, घर में आएगी खुशहाली

पूर्णिमा और अमावस्या तिथि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होते हैं। जो लोग नदियों के पास नहीं रहते, वे गंगाजल में डालकर स्नान कर सकते हैं।

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Kaushiki
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ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025
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हिंदू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा जिसे वट पूर्णिमा भी कहा जाता है, ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।

इस दिन सावित्री और सत्यावान की पवित्र कथा का पाठ किया जाता है, जो एक प्रेरणादायक कहानी है कि कैसे सावित्री ने अपने पति सत्यावान को मृत्यु के देवता यमराज से जीवनदान दिलवाया था। इस बार, ज्येष्ठ पूर्णिमा 10 जून 2025 को है और इसका समापन 11 जून को होगा।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत कथा

यह दिन सावित्री की भक्ति और उनके अडिग प्रेम की याद दिलाता है, जिनकी तपस्या और भक्ति ने उनके पति सत्यावान को पुनर्जीवित किया। सावित्री ने यमराज से अपने पति को जीवनदान प्राप्त करने के लिए तीन वरदान मांगे।

इस अद्वितीय भक्ति ने सत्यावान को जीवन दिया। इसी कारण से विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।

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वट पूर्णिमा व्रत विधि

इस व्रत के लिए विवाहित महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर बरगद के पेड़ (वट वृक्ष) के नीचे विशेष पूजा करती हैं। पूजा की विधि इस प्रकार है:

  • वट पूर्णिमा के दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प करती हैं। 
  • इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। 
  • पूजा के लिए बांस की टोकरियों में सात तरह के अनाज रखे जाते हैं
  • एक टोकर में मां सावित्री की प्रतिमा स्थापित की जाती है। 
  • इसके बाद, धूप, दीपक, अक्षत और मौली से पूजा की जाती है। 
  • कुमकुम से तिलक करने के बाद, सावित्री और सत्यवान की कथा पढ़ना बहुत शुभ माना जाता है।
  • इस पूजा का समापन विष्णु और लक्ष्मी के मंत्रों से किया जाता है।
  • पूजा के बाद महिलाएं अपने पति से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

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व्रत का समय

पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ पूर्णिमा 10 जून सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 11 जून दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी। हालांकि, व्रत 10 जून, मंगलवार को रखा जाएगा और वट सावित्री व्रत भी उसी दिन मनाया जाएगा। चंद्रोदय का समय 7:41 बजे बताया जा रहा है।

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जून 2025, सुबह 11:35 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जून 2025, दोपहर 1:13 बजे
  • चंद्रोदय समय (10 जून): शाम 7:41 बजे
  • स्नान-दान: 11 जून 2025 (बुधवार)

स्नान और दान का महत्व

पूर्णिमा और अमावस्या तिथि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होते हैं। जो लोग नदियों के पास नहीं रहते, वे गंगाजल में डालकर स्नान कर सकते हैं।

यह स्नान शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है और पुण्य का भागी बनाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें अपने परिवार के लिए सुख-शांति और समृद्धि की कामना करने का अवसर देता है।

इसकी पूजा से न केवल पति की लंबी उम्र की कामना होती है, बल्कि यह भी घर में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति का मार्ग खोलती है।

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