अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन देवाधिदेव भगवान शंकर के अंश अवतार बाबा काल भैरव स्वरूप का विशेष पूजन करने का विधान है। इस अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी के रूप में पूजा जाता है, इस दिन बाबा काल भैरव की पूजा के अलावा मां दुर्गा की पूजा का और व्रत करने का भी नियम है शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि बाबा काल भैरव का विशेष वैदिक विधि विधान से पूजन करने पर वे शीघ्र प्रसन्न होकर पूजा करने वालों की सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी करने में देरी नहीं लगाते।
भगवान शंकर के अंश रूप में ऐसे उत्पन्न हुए थे काल भैरव
पुराण शास्त्रों में ऐसी कथा आती है कि एक बार प्रजापिता ब्रह्मा जी और पालन लक्ष्मीपति भगवान श्री विष्णु जी में भयंकर विवाद हो गया, और इन दोनों देवों के विवाद के चारों दिशाओं में हाहाकर मच गया, जिसके कारण भगवान शंकर अत्यधिक क्रोध में आ गए। जब भगवान महादेव क्रोधित हुए तो उनके क्रोध से एक भयंकर शक्ति का जन्म हुआ जो काल भैरव रूप में जाने गए। कथा आती है कि जिस दिन बाबा काल भैरव भगवान शिव के अंश से उत्पन्न हुए थे उसे दिन अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी, तभी से इस तिथि को काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाने लगा, साथ ही प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाअष्टमी के रूप में पूजा जाने लगा। सनातन धर्मशास्त्र कहते हैं कि जो कोई व्यक्ति अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना से पूरे श्रद्धा भाव से भगवान कालभैरव का पूजन पूजन अर्चन करता है बाबा काल भैरव उसके जीवन को सुख समृद्धि से भर देते हैं।
ऐसे करें काल भैरव बाबा का पूजन
नारद पुराण में लिखा गया है कि काला अष्टमी के दिन काल भैरव और मां दुर्गा की पूजा करने वाले साधकों के जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं एवं सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। अगर इस दिन देवी महाकाली की विधिवत पूजा करने के साथ ही उनके इस शक्तिशाली मंत्र का जप अर्धरात्रि में किया जाए तो मनुष्य की सारी सांसारिक आध्यात्मिक और भौतिक मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। साथ ही अगर कोई भक्त पूजा करने से पूर्व रात्रि में माता पार्वती एवं भगवान शंकर जी की कथा पढ़ना या सुनने के साथ बाबा काल भैरव की सवारी कुत्ते को कुछ न कुछ अवश्य खिलाना चाहिए।
इस भोग से प्रसन्न हो जाते हैं बाबा भैरव
काल भैरव जयंती के दिन बाबा काल भैरव की विशेष कृपा दृष्टि पाने के लिए भगवान काल भैरव को पंचमेवा अर्थात पांच प्रकार के मिष्ठानों का भोग, पान या पीपल के पत्ते पर लगाना चाहिए, बाद में उस भोग को किसी काले कुत्ते या अन्य कुत्ते को खिला देना चाहिए ऐसा करने से बाबा भैरव प्रसन्न होकर व्यक्ति को मन चाहे वरदान प्रदान करते हैं।
इस काल भैरव मंत्र का जप अवश्य करें
काल भैरव जयंती के दिन इस भैरव मंत्र का जप श्रद्धा पूर्वक कम से कम 108 बार सुबह-शाम अवश्य करना चाहिए। शिव महापुराण में वर्णित इस मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप करने वाले भक्त की सभी इच्छाएं पूरी कर देते हैं भगवान बाबा महाकाल।
मंत्र- ऊँ अतिक्रूर महाकाय कल्पांत दहनोपम्।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमहर्सि
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