सनातन धर्म में मार्गशीर्ष का महीना विशेष महत्व रखता है इस महीने को हिंदू धर्म के अनुसार अगहन का महीना भी कहा जाता है, इस पूरे महीने अनेक देवी देवताओं के व्रत और त्योहारों का पर्व मनाया जाता है। मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को खास तिथि मानी जाती है, क्योंकि हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान महादेव ने काल भैरव रूप में जन्म लिया था इसीलिए इस तिथि को हर महिने काल भैरव अष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल काल भैरव जयंती पर्व 23 नवंबर 2024 दिन शनिवार को है, हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष इस दिन अर्थात काल भैरव अष्टमी जंयती के दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन भैरव बाबा को प्रसन्न करने व उनकी कृपा पाने के लिए व्रत व पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि होने के साथ अनेक तरह की सफलताएं और सिद्धि मिलती है।
बाबा काल भैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 7 मिनट से शुरू होकर अगले दिन अर्थात 23 नवंबर की शाम 7 बजकर 56 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी। जो कि भैरव देव बाबा की पूजा निशा कल में होगी। इसी दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मानने का विधान शास्त्र बताते हैं।
भगवान भैरव बाबा जयंती पूजा विधि
काल भैरव अष्टमी के दिन भगवान महादेव के कल स्वरूप भैरव बाबा की पूजा की जाती है इस दिन प्रात काल किसी पवित्र नदी तीर्थ स्थान या फिर घर में ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। बाबा काल भैरव का पूजन सूर्यास्त के बाद रात्रि में करने का विधान है इससे इसका लाभ अधिक हो जाता है। अगर आपके आसपास में कहीं काल भैरव मंदिर है तो वहां जाकर भैरव बाबा की विधिवत पूजा करें उनके सामने आटे का चौमुखी दीपक जलाएं, इससे भैरव नाथ अधिक प्रसन्न हो जाते हैं। पूजन के बाद इस बीज मंत्र- ऊँ उन्मत्त भैरवाए नमः” का जप 108 बार अवश्य करें श्री भगवान काल भैरव को लाला फूल, इमरती, जलेबी, उड़द के पकवान, पान, नारियल आदि पवित्र वस्तुएं अर्पित करें।
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