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आज से सूर्यदेव के धनु राशि में प्रवेश के साथ खरमास की शुरुआत हो गई है। इस अवधि में विवाह, सगाई, यज्ञ, गृह प्रवेश और मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा जैसे सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव के धीमी गति से चलने के कारण इस समय कोई भी मांगलिक कार्य सफल नहीं होते। यह खरमास 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ समाप्त होगा।
खरमास का ज्योतिषीय महत्व
पंडित राधेगोविंद मिश्र के अनुसार, पंचांग की गणना के आधार पर खरमास तब शुरू होता है जब सूर्यदेव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं। वर्ष में दो बार यह अवधि आती है:
दिसंबर-जनवरी (धनु राशि में सूर्य प्रवेश)
मार्च-अप्रैल (मीन राशि में सूर्य प्रवेश)
खरमास को मल मास के नाम से भी जाना जाता है
खरमास को मल मास भी कहा जाता है। यह अवधि धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों के लिए उपयुक्त मानी जाती है, लेकिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए नहीं।
मकर संक्रांति के बाद शुभ कार्य
खरमास की समाप्ति के बाद, मकर संक्रांति से शुभ कार्यों का दौर फिर शुरू होगा। इस बार 16 जनवरी से विवाह, गृह प्रवेश और मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के लिए शुभ मुहूर्त शुरू होंगे।
- विवाह के मुहूर्त: 16, 18, 21, 22 जनवरी
- गृह प्रवेश के मुहूर्त: 15, 18, 20, 22, 23, 24, 31 जनवरी
- दिर प्राण-प्रतिष्ठा के मुहूर्त: 15, 17, 18, 19, 22 जनवरी
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खरमास के दौरान वर्जित कार्य
- विवाह, सगाई और अन्य मांगलिक कार्य।
- नया घर, वाहन, या कीमती सामान खरीदना।
- किसी नए व्यवसाय या प्रोजेक्ट की शुरुआत।
- धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य
हालांकि, इस अवधि में धार्मिक और दान-पुण्य के कार्य जैसे पूजा, ध्यान, और गोसेवा को शुभ माना गया है।
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