BHOPAL. आज यानी 14 अप्रैल को सूर्य देव दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। जिसे हिंदू धर्म में इस संयोग को मेष संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। इस खास दिन से सौरवर्ष आरंभ होता है। वहीं इसी दिन से मेष संक्रांति से खरमास भी खत्म हो जाते हैं, इसके बाद सभी मांगलिक कार्यों, नए काम की शुरुआत कर सकते हैं, लेकिन इस साल मेष संक्रांति पर खरमास की समाप्ति के बाद भी मांगलिक कार्य नहीं हो पाएंगे। आइए जानते हैं क्या है इसका कारण?
इन दो ग्रहों का मजबूत होना जरूरी
हिंदू धर्म में संक्रांति के दिन तीर्थ स्नान, दान और सूर्य देव की पूजा का खास महत्व है। मेष संक्रांति पर एक माह से लगे खरमास खत्म हो रहे हैं। खरमास की अवधि को अशुभ माना जाता है। जब सूर्य बृहस्पति की राशि में प्रवेश करते हैं तो अपने गुरु की सेवा में होते हैं ऐसे में दोनों का बल कम हो जाता है। शुभ काम के लिए दोनों ग्रहों का मजबूत होना बहुत जरुरी है।
क्यों नहीं होंगे मांगलिक कार्य?
खरमास खत्म होने पर गुरु और सूर्य फिर बलवान हो जाते हैं और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन मेष संक्रांति पर खरमास की समाप्ति के बाद भी मांगलिक कार्य नहीं हो पाएंगे। इसकी मुख्य वजह है गुरु अस्त होना है। गुरु ग्रह को वैवाहिक जीवन का कारक माना गया है। विवाह से जुड़े सभी काम के लिए गुरु का उदित होना अति आवश्यक है।
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मीन राशि में हुए थे अस्त
1 अप्रैल 2023 को गुरु ग्रह मीन राशि में अस्त हुए थे। गुरु के अस्त होने पर विवाह, सगाई, व्रत उद्यापन, गृह प्रवेश करने की मनाही है। बृहस्पति के अस्त होने पर उनकी शक्तियां कमजोर पड़ जाती हैं और उनकी शुभता का प्रभाव घटने लगता है। ऐसे में कोई भी मांगलिक कार्य करने पर वह सफल नहीं होता है।
इस दिन से शुरू होंगे मांगलिक कार्य
गुरु ग्रह 3 मई 2023 को सुबह 04 बजकर 56 मिनट पर उदित होंगे। यानी इस दिन के बाद से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। मई में शादियों के 13 मुहूर्त हैं। मेष संक्रान्ति के दिन महापुण्य काल दोपहर 1.04 बजे से शाम 5.20 बजे तक रहेगी।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।