गंगा किनारे बसा बनारस अपने घाटों और देवी-देवताओं के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें से एक खास मंदिर है माता अन्नपूर्णा का मंदिर ( Annapurna Mandir )। इस मंदिर के धनतेरस ( Dhanteras ) से लेकर अन्नकूट महोत्सव ( Annakoot Mahotsav ) तक सिर्फ चार दिन के लिए खोला जाता है। भक्तों को देवी के खजाने के रूप में चावल, धान का लावा और अठन्नी ( Coin ) प्रसाद में दी जाती है। यह सिक्का भक्तों के लिए कुबेर ( Kuber ) से कम नहीं माना जाता और इसे लोग अपने लॉकर में रखते हैं ताकि धन-धान्य की देवी की कृपा बनी रहे।
500 साल पुरानी मूर्तियों वाला मंदिर
यह मंदिर साल में केवल धनतेरस पर चार दिन के लिए भक्तों के दर्शन हेतु खोला जाता है और अन्नकूट महोत्सव के बाद बंद हो जाता है। मंदिर में 500 साल पुरानी मूर्तियां स्थापित हैं। माता अन्नपूर्णा के साथ भगवान शिव ( Lord Shiva ) को अन्नदान की मुद्रा में खप्पर लिए खड़ा दिखाया गया है, उनके दाईं ओर मां लक्ष्मी ( Maa Lakshmi ) और बाईं ओर भूदेवी ( Bhoodevi ) की स्वर्ण प्रतिमाएं हैं।
पौराणिक मान्यता से जुड़ा है खजाना
मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी ( Rameshwar Puri ) के अनुसार मंदिर का यह अनमोल खजाना पौराणिक कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि एक बार काशी में अकाल पड़ गया था और लोग भूख से मरने लगे थे। तब भगवान शिव ने लोगों की भूख मिटाने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। मां ने न केवल भिक्षा दी बल्कि यह वचन भी दिया कि काशी ( Kashi ) में कोई भी भूखा नहीं सोएगा। इसलिए यह मान्यता है कि जो भी काशी में आता है, उसे भोजन मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से ही प्राप्त होता है।
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