नवरात्रि अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है और आज मां दुर्गा के आठवें स्वरूप आदिशक्ति महागौरी की पूजा की जाएगी। अष्टमी की पूजा मूल भाव को दर्शाता है। देवी भागवत पुराण में बताया गया कि मां के 9 रूपों और 10 महाविद्या सभी आदिशक्ति के स्वरूप हैं। महादेव के साथ उनकी अर्धांगिनी के रूप में महागौरी हमेशा विराजमान रहती हैं। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने से सोमचक्र जाग्रत होता है और इनकी कृपा से हर असंभव कार्य पूरा हो जाता है। ज्यादातर घरों में इस दिन कन्या पूजन किया जाता है और कुछ लोग नवमी के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद कन्या पूजन करते हैं।
मां गौरी का रुप
महागौरी का स्वरूप बहुत ही उज्जवल कोमल, श्वेत वर्ण और श्वेत वस्त्रधारी है। देवी महागौरी को गायन-संगीत प्रिय है और वह सफेद वृषभ यानी बैल पर सवार हैं। मां के दाहिने हाथ में अभयमुद्रा और नीचे वाले हाथ में शक्ति का प्रतीक त्रिशूल है। वहीं बायें वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू और नीचे वाला हाथ भी भक्तों को अभय दे रहा है। मां के हाथ डमरू होने के कारण इनको शिवा भी कहा जाता है। मां का ये स्वरूप बेहद शांत है। इनकी पूजा करने मात्र सभी व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
मां गौरी का भोग
अष्टमी तिथि के दिन मां महागौरी को नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है। भोग लगाने के बाद नारियल को ब्राह्मण को दे दें और प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांट दें। जो लोग आज के दिन कन्या पूजन करते हैं, वह हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने का प्रसाद माता को लगाते हैं और फिर कन्या पूजन करते हैं। कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम, नहीं तो दो कन्याओं के साथ भी पूजा की जा सकती है।
मां गौरी का मंत्र
माता महागौरी का ध्यान मंत्र
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां महागौरी की पूजनविधि
अष्टमी तिथि के दिन मां के कल्याणकारी मंत्र ओम देवी महागौर्यै नम: मंत्र का जप करना चाहिए और माता को लाल चुनरी चढ़ानी चाहिए। साथ ही जो लोग कन्या पूजन कर रहे हैं, वह भी कन्याओं को लाल चुनरी चढ़ाएं। सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और फिर माता की तस्वीर या मूर्ति पर सिंदूर और चावल चढ़ाएं। साथ ही मां दुर्गा का यंत्र रखकर भी उसकी भी इस दिन पूजा करें। मां अपने भक्तों को कांतिमय सौंदर्य देने वाली मानी जाती हैं। मां का ध्यान करते हुए सफेद फूल हाथ में रखें और फिर अर्पित कर दें और विधिवत पूजन करें।