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सनातन धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है और मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा का स्थान इसमें और भी खास है। इसे बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन स्नान-दान के साथ श्रीहरि विष्णु की पूजा का विशेष विधान है। ऐसा माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। वहीं साथ में भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी मिलता है।
इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर 2024 को मनाई जा रही है। पंचांग के अनुसार, इस तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर को शाम 5 बजे हुई थी और इसका समापन 15 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर पूर्णिमा का व्रत और पूजा आज ही की जाएगी।
शुभ योग का संयोग
इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर साध्य योग और सिद्ध योग का विशेष संयोग बन रहा है, जो दिन की महत्ता को और भी बढ़ा देता है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा विधि
जल्दी उठकर स्नान कर अपने घर या मंदिर की सफाई करें। भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर पर गंगाजल छिड़कें। गंगाजल और कच्चा दूध मिलाकर भगवान को स्नान कराएं। पूजा में अबीर, चंदन, फूल, तुलसी पत्ते और चूरमा अर्पित करें। सत्यनारायण कथा का पाठ करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
स्नान और ध्यान का महत्व
स्नान करते समय जल में तुलसी के पत्ते डालें और संकल्प लें। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और साफ-सुथरे कपड़े पहनकर मंत्र जाप करें। पूजा के बाद सफेद वस्त्रों और जल का दान करें। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करना न भूलें।
क्या करें और क्या नहीं
- किसी पवित्र स्थल पर जाकर स्नान करने का प्रयास करें।
- उपवास को श्रद्धा और निष्ठा के साथ रखें।
- प्याज, लहसुन, मांस-मछली और शराब का सेवन न करें।
- दोपहर में सोने से बचें।
- भगवान को चूरमा अर्पित करें।
- ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र का दान करें।
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