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BHOPAL. आध्यात्मिक गुरु रामलला सरकार इन दिनों चर्चा में हैं। लोगों से मिलकर उनके मन की बात जान लेने का दावा करने वाले रामलला सरकार भोपाल प्रवास पर आए थे। इस दौरान द सूत्र के अरुण तिवारी ने उनसे मिलकर धर्म और अध्यात्म के बारे में चर्चा की। पढ़ें रामलला सरकार ने क्या कहा...
सवाल- आप मन की बात जान लेते हैं, क्या यह भगवत कृपा है, सिद्धि है या फिर कला?
रामलला सरकार- बहुत सारे लोग लिखकर बताने की कोशिश करते हैं। यह कला नहीं है, यह अध्यात्म की शक्ति है, किसी के मन को पढ़ कर जान लेना, भूतकाल की घटनाएं बता देना, जैसे कि कितनी संतान हैं आदि, भगवान की कृपा से होता है। भारत ही नहीं, पूरे विश्व में मुझे कहीं किसी जगह पर बैठा दीजिए, मैं तीनों काल की बातें सटीक बता सकता हूं। बाकी कुछ बातें पूछ कर दूसरी बातें बता देना यह कला है। हमें भी ऐसा करने का अवसर कई बार मिला, लेकिन हम हमेशा साधनारत रहे, अभी भी मैं साधनारत रहता हूं। हां, अगर मौका मिला तो हम वहां अपना परिचय अवश्य देंगे।
सवाल- आपको जो कुछ मिला है, क्या वो तप और साधना से मिला है?
रामलला सरकार- राम नाम का सहस्र जाप अगर कोई व्यक्ति कई बार कर ले तो किसी के मन की बात बताना छोटी सी बात है। किसी के जीवन में क्या घटना घटी, क्या घटने वाली है, यह आसानी से बताया जा सकता है।
सवाल- भूत तो बता दिया जाता है, वर्तमान दिखता है, लेकिन क्या भविष्य जाना जा सकता है?
रामलला सरकार- नरसिंहपुर जिले में मैंने 200 भविष्यवाणियां की हैं। कुछ दिन पहले एक व्यक्ति मिलने आने वाला था, वह बीमार था। डॉक्टर बोल रहे थे कि वो ठीक हो जाएगा। मैंने नरसिंहपुर से विधायक का चुनाव लड़ चुके लाखन सिंह पटेल को कहा कि उस व्यक्ति को लेकर नहीं आएं, वह रविवार को दोपहर में नहीं रहेगा। ऐसा ही हुआ। आप लाखन सिंह जी से पूछ सकते हैं। भविष्यवाणी तब सार्थक होती है, जब व्यक्ति साधनारत होता है, परमार्थी होता है। पूरे विश्व के लिए जो जीवन जीता है उसकी भविष्यवाणी सदैव पूर्ण होती है।
सवाल- आप दरबार भी लगाते हैं क्या। उसमें लोग कैसे शामिल हो सकते हैं, कैसे उनका नंबर आ सकता है?
रामलला सरकार- नरसिंहपुर में 15 अप्रैल को दरबार है, जिसमें आएं और देखें। वहां अपनी समस्या रखने का मौका मिल सकेगा। अध्यात्म में शक्ति है, यह सत्य है लेकिन यह सबके पास नहीं है। अगर अध्यात्म की शक्ति चैतन्य अवस्था में है तो वो व्यक्ति कहीं भी किसी भी पल कुछ भी बता सकता है, इसमें कोई संदेह नहीं है। हां, कुछ समय का महत्व होता है। ऐसा नहीं कि किसी भी समय कुछ भी करने लग जाएं।
सवाल- आपने बीएचयू से संगीत से एमए किया है तो फिर कहां से आप अध्यात्म के पथ पर चल पड़े?
रामलला सरकार- मैं 14 साल का था, तब मां कामाख्या के श्रीचरणों की पूजा के लिए आतुर हुआ। संगीत तो आप समझ लीजिए, हमारे लिए मां सरस्वती का वरदान है। मैंने बहुत कम परिश्रम किया, लेकिन मां सरस्वती ने बहुत ज्यादा दिया। आप लोग यूट्यूब देखिए ‘वाणी हरि गुण गाए जपो रे जपो’ यह हमारा ही संगीत है, मैंने ही गाया है। मुझे ऐसा लगा कुछ अदृश्य शक्तियां मेरा साथ दे रही हैं। जैसे मैं कहीं चल रहा हूं तो कुछ सुनाई देता था, कहीं चिंतन मनन कर रहा हूं तो स्वयं अनुभूति होने लग जाती है। मैंने संगीत सीखा, साधना की। 6-7 साल मां कामाख्या के श्रीचरणों में साधना की उसी की देन है यह सब। जब भी सनातन धर्म पर कुंठित प्रहार होंगे, हमले होंगे उस समय रामलला सरकार को प्रमाण के रूप में आप सबसे आगे पाएंगे।
सवाल- दरबार के लिए आपने नरसिंहपुर का चयन कैसे किया?
रामलला सरकार- मैं अयोध्या से हूं, लेकिन बनारस आया, क्योंकि बनारस भगवान विश्वनाथ की नगरी है। वहां कण-कण में संगीत है। मुझे मां सरस्वती और भोलेनाथ ने आशीर्वाद भी दिया। शिष्यों ने नरसिंहपुर बुला लिया तो वहां चला गया।
सवाल- आप भगवान के किस स्वरूप के उपासक हैं?
रामलला सरकार- मैं श्री राम और मां कामाख्या का उपासक हूं। मेरे जीवन में सिर्फ और सिर्फ श्री राम के चरणों की धूलि है उनके अलावा मैं किसी को जानता नहीं, सभी देवी देवताओं का सम्मान करता हूं। रामलला सरकार के नाम से इसी लिए जाना भी जाता हूं। मैं चाहता हूं कि पूरा विश्व राममय हो जाए। समस्त विश्व से द्वेष की भावना खत्म हो, सब राम के लिए जीवन जिएं।
सवाल- धर्म को लेकर बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोग चमत्कार दिखाते हैं। इससे विवाद होते हैं, क्या यह सत्य है या भ्रम है?
रामलला सरकार- टोटके पर तो मैं कुछ कहूंगा नहीं, लोगों को भगवान का भजन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। सृष्टि में उनके नाम से बड़ा कुछ नहीं। मेरे सामने तो कोई चमत्कार दिखाने वाला तो आया नहीं। स्वामी गजानन महाराज, शिवाजी के गुरु समर्थ स्वामी रामदास सिद्धपुरुष थे। उनकी जैसी शक्तियां अभी भी हैं। अवसर आएगा तो दिखेंगी। पर्ची लिखकर दिखाना सिद्धि नहीं, अनुभूति है। ऐसा अध्यात्म से जुड़े व्यक्ति को होती है। जो इसमें पूर्ण होते हैं, वो डंका नहीं बजाते। साईं बाबा के समय में जो सिद्धियां थीं, वो आज भी हैं, करने वाला होना चाहिए। कुछ हम भी करते हैं समय आएगा तो करेंगे, सनातन धर्म के लिए। मैं ऐसा अपने निजी जीवन और प्रशंसा के लिए कभी नहीं करता मैं और कभी नहीं करूंगा। लेकिन जब सनातन की बात आएगी तो पूरे विश्व को करके दिखाऊंगा।
सवाल- साईं बाबा क्या हैं?
रामलला सरकार- रामचरितमानस में शबरी के यह कहने पर कि मैं अधम हूं, भगवान उनके चरण पकड़ कर बोले कि जिनका निरंतर चिंतन भगवान करते हैं, वो संत भगवान से बड़े क्यों नहीं हो सकते। योगी भगवान तुल्य ही होता है। समस्त संतों के श्रीचरणों को प्रणाम, जो भगवान का है, वो सबका है।
सवाल- आप हिंदू राष्ट्र का समर्थन करते हैं?
रामलला सरकार- भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में कोई बुराई नहीं है। रामराज से पूरे विश्व का कल्याण है। हिंदू राष्ट्र से कुछ ही लोगों का कल्याण होगा।
सवाल- क्या कर्ण पिशाचिनी विद्या होती है?
रामलला सरकार- मां कर्ण पिशाचिनी की कृपा होती है। उनकी साधना की जाती है। ये विद्याएं होती हैं। प्राय: ठाकुर जी (रामजी) की कृपा से देखने को मिलता है। श्रीराम जी की कृपा के बिना कुछ भी नहीं हो सकता। सब सिद्धियां उन्हीं के आशीर्वाद से हैं। एक सज्जन व्यक्ति ने कहा था कि मैं एक करोड़ रुपए दूंगा, जो मेरे मन की बात लिख देगा। मैंने कहा स्वागत है। मैं तो पैसा लेता नहीं, लेकिन गरीब माता-पिता के लिए उनका धन काम में आ जाएगा।
सवाल- वाल्मीकि रामायण युद्ध कांड के बाद पूर्ण हो गई थी, लेकिन उत्तरकांड का बाद में जिक्र है तो क्या वाकई में सीताजी का वन गमन हुआ था?
रामलला सरकार- रामचरितमानस में तुलसीदास जी महाराज ने कहीं भी इस विषय को नहीं रखा है। तुलसी की रामचरितमानस में कुछ हेरफेर भी हुआ है जो नहीं होना चाहिए था। यह त्रुटियां दूसरों ने की हैं।
सवाल- रामभद्राचार्य जी ने हनुमान चालीसा में कुछ त्रुटियां बताईं हैं, क्या आप उन्हें सही मानते हैं?
रामलला सरकार- पूज्य रामभद्राचार्यजी भारत के सूर्य हैं। उनकी बात कभी मिथ्या नहीं हो सकती। उन्होंने जो कहा है, वो पूर्णत: सत्य है। मानस में भी कुछ बदलाव लोगों ने किए हैं, जो ठीक नहीं है। जो तुलसीदास जी महाराज ने लिखा है, वो अकाट्य सत्य है, पूर्ण सत्य है।
सवाल- कर्म और भाग्य, आप किसको मानते हैं?
रामलला सरकार- गीता में कहा गया है- कर्म प्रधान है। यह अकाट्य सत्य है। कर्म करने वाला व्यक्ति सब कुछ पा सकता है। लेकिन कर्म कैसा हो? अच्छा कर्म करने वाला सबकुछ पा सकता है, बुरा कर्म करने वाला नहीं। कर्म में भी दो बातें हैं, एक साधन को पाने के लिए कर्म करता है, दूसरा साध्य को पाने के लिए। साधन और साध्य में धरती-आसमान का फर्क है। जो साध्य को पाने के लिए कर्म करता है, वह सफल होता है।
सवाल- जीवन के संकटों से निकलने के लिए क्या करें?
रामलला सरकार- हमेशा प्रसन्न रहना चाहते हैं तो हमेशा ऊं राम रामाय नम:, ऊं श्रीं सीताय नम: का सुबह शाम जाप करें, संकीर्तन करें। भगवान का जो जितना ज्यादा जाप करेगा, उतना सुखी रहेगा। और कोई साधन नहीं है।