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नवरात्रि का समापन
नवरात्रि का पवित्र पर्व जल्द ही संपन्न होने वाला है। (shardiya navratri 2025) यह 1 अक्टूबर (बुधवार) को महानवमी की तिथि पर कन्यापूजन के साथ पूरा होगा।
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मां सिद्धिदात्री की पूजा
नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन मां सिद्धिदात्री की विशेष आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन्हें सभी प्रकार की सिद्धियों (शक्तियों) की दात्री, यानी देने वाली देवी माना जाता है।
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कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि के सभी अनुष्ठानों में, कन्या पूजन को सबसे मुख्य और महत्वपूर्ण माना गया है। यह भक्ति का वह खास तरीका है, जिससे देवी मां जल्दी प्रसन्न होती हैं।
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कन्या भोजन का भुभ मुहूर्त
कन्या पूजन के लिए शुभ समय 1 अक्टूबर को रहेगा। यह मुहूर्त सुबह 8 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 58 मिनट तक मान्य रहेगा।
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कन्या पूजन के नियम
कन्या पूजन के लिए 1 से 10 वर्ष की छोटी कन्याओं को ही आमंत्रित करना चाहिए। शास्त्रों में इन्हीं बालिकाओं को देवी स्वरूप माना गया है
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भैरव का पूजन
पूजा को संपूर्ण करने के लिए, कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भी जरूर बुलाएँ। इन्हें भैरव का स्वरूप मानकर पूजने की परंपरा है।
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स्वागत और सम्मान
भोजन से पहले, सबसे पहले कन्याओं के चरण धोकर उनका आदरपूर्वक स्वागत करें। फिर उन्हें स्वच्छ आसन पर बिठाकर कुमकुम और अक्षत से तिलक करें।
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भोग की सामग्री
कन्या पूजन के दिन, कन्याओं को प्रेमपूर्वक हलवा, पूड़ी, काला चना और खीर आदि का भोग कराएं। ऐसा करना देवी मां को अत्यंत प्रिय है।
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दक्षिणा और आशीर्वाद
भोजन के बाद कन्याओं को प्रेम से दक्षिणा (पैसे) और उपहार देकर विदा करें। उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेना सबसे जरूरी है, जिससे देवी मां की कृपा मिलती है।