नवरात्रि पूजन: दुर्गा पूजा के तीसरे दिन एक साथ करें देवी चंद्रघंटा और कूष्मांडा की पूजा

author-image
एडिट
New Update
नवरात्रि पूजन: दुर्गा पूजा के तीसरे दिन एक साथ करें देवी चंद्रघंटा और कूष्मांडा की पूजा

नवरात्रि के तीसरे दिन देवी के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा माता की पूजा होती है। लेकिन इस साल नवरात्र के तीसरे दिन तिथियों का ऐसा संयोग बना है कि देवी के तीसरे और चौथे स्वरूप की पूजा एक साथ होगी। इसकी वजह तिथियों का संयोग है। नवरात्र के तीसरे दिन तृतीया तिथि सुबह 7 बजकर 49 मिनट तक है। इसके बाद चतुर्थी तिथि लग जा रही है। ऐसे में सूर्योदय काल में तृतीया तिथि होने से 9 तारीख को तृतीया तिथि का मान रहेगा 10 तारीख को सुबह 4 बजकर 56 मिनट पर चतुर्थी तिथि खत्म हो जाने की वजह से चतुर्थी तिथि का क्षय हो गया है। 9 तारीख को ही देवी दुर्गा के दो स्वरूप माता चंद्रघंटा और कूष्मांडा देवी की पूजा होगी।

माता का पूजन कैसे करें

माता चंद्रघंटा की पूजा करते हुए बाएं हाथ में घंटी लेकर मध्यम स्वर में घंटी बजाते हुए इनकी पूजा करें। इससे मां खुश होंगी। माता की पूजा में शहद युक्त पान और पेठे का प्रसाद जरूर रखें। कूष्मांडा देवी को पेठा प्रिय है और देवी चंद्रघंटा को शहद युक्त पान। इसलिए इन दोनों चीजों का प्रसाद होने से आप एक साथ देवी के दोनों स्वरूप को प्रसन्न कर सकते हैं।

माता चंद्रघंटा और कूष्मांडा के स्वरूप

माता चंद्रघंटा दस भुजाओं वाली देवी हैं। इनका चेहरा सोने के समान दमकता रहता है। यह अपने सिर पर अर्धचंद्र का मुकुट धारण करती हैं जिनमें एक घंटी लटकते हुए नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली आवाज पैदा करती है। माता चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। देवी कूष्मांडा आदिशक्ति का स्वरूप हैं। ये सूर्यमंडल के बीच निवास करती हैं। माता कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं जिनमें विभिन्न शस्त्रों के साथ माता कमंडल, अक्षमाला और कमल पुष्प भी धारण करती हैं। देवी कूष्मांडा के सिर पर रत्नों से शोभायमान मुकुट है। माता एक ही साथ योद्धा भी दिखती हैं और तपस्वी भी।

The Sootr navratri poojan devi chandra ghanta devi kooshtmanda 3rd and 4th day is same