8 अक्टूबर 2024
कात्यायनी माता
कात्यायनी माता की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार देव ऋषि कात्यायन मां दुर्गा के परम उपासक थे। मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए एक बार देव ऋषि कात्यायन ने मां की कठोर तपस्या की। ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर मां प्रकट होकर बोलीं, वत्स जो वर मांगना चाहते हो, मांगों ! मां के इतना कहते ही देव ऋषि ने मां भगवती से वर मांगा और कहा कि मां आप मेरे घर पुत्री के रूप में जन्म लो। देव ऋषि की बात सुनकर मां ने उन्हें वर पूरा होने का वरदान दिया। फिर मां दुर्गा ने देव ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया और पिता का नाम कात्यायन की पुत्री होने के कारण मां के इस अवतार को कात्यायनी कहा गया है। मां कात्यायनी की पूजा भगवान राम और श्रीकृष्ण ने भी की थी। कहते हैं कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा की थी।
कात्यायनी माता का प्रिय भोग
मां कात्यायनी को शहद का भोग प्रिय है। ऐसे में पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से भक्त का व्यक्तित्व निखरता है।
मां कात्यायनी मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नम:॥
मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
कात्यायनी माता पूजा-विधि
कात्यायनी के पूजन के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इसके बाद कात्यायनी की चौकी लगाएं। कात्यायनी देवी को पीला रंग बहुत पसंद है, इसलिए नवरात्रि के 6वें दिन पीले रंग के वस्त्र को जरूर धारण करें और माता की चौकी लगाते हुए पीले रंग का कपड़ा और फूलों का प्रयोग करें। कात्यायनी देवी को पीले पुष्प, हल्दी का तिलक और भोग चढ़ाएं। कात्यायनी देवी की आरती और मंत्रों का जाप करें।
कात्यायनी माता की आरती...
जय-जय अम्बे जय कात्यायनी।
जय जगमाता जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहा वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम है कई धाम है।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी।
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भगत हैं कहते।
कत्यानी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करिए।
ध्यान कात्यायनी का धरिए।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को 'चमन' पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
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