फाल्गुन अमावस्या के साथ पंचक की शुरूआत कल से, आइए जानें पंचक में क्या करें- क्या न करें

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BP Shrivastava
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फाल्गुन अमावस्या के साथ पंचक की शुरूआत कल से, आइए जानें पंचक में क्या करें- क्या न करें

 BHOPAL. हिंदी कलैंडर के मुताबिक फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहा जाता है। इस बार फाल्गुन अमावस्या पर एक बड़ा ही दुर्लभ संयोग बन रहा है। फाल्गुन अमावस्या के साथ पंचक की शुरुआत भी हो रही है। ज्योतिष के अनुसार सोमवार से प्रारंभ होने वाली पंचक को राज पंचक कहा जाता है। सोमवार यानी (20 फरवरी) से, ये राज पंचक शुरू हो रहे हैं। सामान्य रूप से फाल्गुन अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। ऐसा करने से परिवार में सुख और शांति का अनुभव होता है। फाल्गुन  अमावस्या के साथ शुरू हो रहे पंचक में कौन से काम करने चाहिए और कौन से कार्य वर्जित हैं, आइए देखते हैं-



जानें, पंचक होते क्या हैं ?



पंचक पांच दिन की वो अवधि होती है, जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करता है। इसके बाद जब चंद्रमा शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चार पदों पर गोचर करता है तो इसे पंचक कहा जाता है। सरल भाषा में कहें तो जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करता है तो इसे पंचक कहते हैं।



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राज पंचक की शुरुआत



ज्योतिष शास्त्र में पंचक की अवधि को बहुत ही अशुभ माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार पंचक काल में यदि किसी इंसान की मौत हो जाए तो उसकी मृत्यु के बाद घर-परिवार के सदस्यों या फिर उस क्षेत्र के लोगों पर मृत्यु का संकट मंडराने लगता है। इसलिए पंचक को बहुत ही अशुभ मानते हैं। हालांकि सारे पंचक अशुभ नहीं होते हैं। राज पंचक की शुरुआत सोमवार से होती है और इस पंचक को उन सभी कार्यों के लिए शुभ माना जाता है जो दैनिक जीवन में किए जा सकते हैं। इसके अलावा रोग पंचक, मृत्यु पंचक और चोर पंचक जातकों की मुश्किल बढ़ाने का काम करते हैं। जब ये पंचक लगते हैं तो कुछ विशेष कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए।




  • शादी-विवाह : पंचक का अशुभ काल शुरू होने के बाद विवाह, मुंडन और नामकरण संस्कार आदि कार्यक्रम वर्जित माने जाते हैं। पंचक में ऐसे कार्यों को टाल देना ही बेहतर होता है।


  • उधार से बचें: पंचक काल में व्यापार के लिए कभी पैसे उधार नहीं लेने चाहिए, लेकिन अगर ऐसा करना जरूरी हो तो कार्य के आरंभ से पहले माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करें।

  • दक्षिण दिशा में यात्रा से परहेज:  पंचक काल में लोगों को दक्षिण दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति को दक्षिण दिशा में शनिवार के दिन यात्रा करनी हो तो पहले संकटमोचन हनुमान जी की पूजा जरूर करें। इसके बाद ही यात्रा प्रारंभ करनी चाहिए।

  • लकड़ी से जुड़ा कार्य : पंचक लगते ही लकड़ी से जुड़े कार्यों को करने की मनाही होती है। इसलिए इस अवधि में ऐसा कोई भी कार्य करना से बचें। बताते हैं, ऐसा करने से आपके घर में संकट आ सकता है।

  •  अंतिम संस्कार विधि: यदि पंचक में किसी इंसान की मृत्यु हो जाए तो परिवार के सदस्यों की रक्षा के लिए दाह संस्कार के वक्त आटे, बेसन और कुश (घास) से 5 पुतले बनाकर मृतक के साथ उनका अंतिम संस्कार करना चाहिए। इससे परिवार के अन्य सदस्यों के सिर से खतरा टल जाता है।


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