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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है, जिसे हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए किया जाता है। इस दिन भक्त भगवान शिव से अपने दुखों और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करते हैं।
इसके साथ ही, इसे वैवाहिक सुख, संतान सुख और समृद्धि प्राप्ति के लिए भी बहुत जरूरी माना जाता है। जुलाई महीने का पहला प्रदोष व्रत आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होगा। आइए जानते हैं इस व्रत के महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
व्रत का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक, प्रदोष व्रत के शुभ मुहूर्त की जानकारी इस प्रकार है:
- तिथि: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 7 जुलाई को रात 11:11 बजे से शुरू होकर 8 जुलाई को रात 12:39 बजे तक रहेगी।
- व्रत तिथि: त्रयोदशी तिथि 8 जुलाई को होगी और इस दिन मंगलवार होने की वजह से इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
- ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दिन, ज्येष्ठा उपरांत मूल नक्षत्र का संयोग रहेगा, जो विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके साथ ही शुक्ल योग का निर्माण भी होगा। इस दिन चंद्रमा वृश्चिक उपरांत धनु राशि में गोचर करेंगे और शुक्र ग्रह का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश होगा।
व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद के लिए किया जाता है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस व्रत से संतान सुख और वैवाहिक जीवन में शांति मिलती है। इस व्रत को रखने से:
- वैवाहिक जीवन में सुख शांति: प्रदोष व्रत से वैवाहिक जीवन में समृद्धि और शांति बनी रहती है।
- संतान सुख: संतान सुख प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत बहुत प्रभावी माना जाता है।
- दुखों से मुक्ति: यह व्रत व्यक्ति के दुखों और परेशानियों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है।
- रुद्राभिषेक का महत्व: प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक करना अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है, जो जीवन में सुख और शांति लाता है।
पूजा विधि
स्नान और व्रत का संकल्प
- प्रदोष व्रत की पूजा सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
शिव-पार्वती की पूजा
- घर के मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। उन्हें स्नान कराएं, गंगाजल से अभिषेक करें, और रोली, चंदन से तिलक करें।
पूजा सामग्री अर्पित करें
- धूप, दीप, नैवेद्य समर्पित करें और फूलों और भोग अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जप करें।
प्रदोष व्रत कथा का पाठ
- प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें और शिव-पार्वती की आरती करें। पूजा के दौरान जाने-अंजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगें।
प्रसाद वितरण
- पूजा समाप्त होने के बाद, प्रसाद घर के सभी लोगों को वितरित करें और उनके जीवन में सुख-शांति की कामना करें।
व्रत के और भी लाभ
मानसिक शांति और स्वस्थ जीवन
- प्रदोष व्रत से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति की चिंताएं दूर होती हैं। यह जीवन में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
सुख-समृद्धि की प्राप्ति
- भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि और शांति आती है। व्रत के दौरान की गई पूजा व्यक्ति को अपनी इच्छाओं की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने का बल देती है।
ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति
- प्रदोष व्रत से व्यक्ति पर असर डालने वाले नकारात्मक ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है। विशेष रूप से मंगलवार को किया गया व्रत भौम प्रदोष व्रत के रूप में अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
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