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राधा रानी का जन्मोत्सव
Radha Ashtami: भारत की धार्मिक संस्कृति में राधा और कृष्ण का नाम हमेशा साथ लिया जाता है। राधा अष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण की प्रिय राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष अष्टमी को आता है। इस दिन राधा रानी की पूजा करने से भगवान कृष्ण भी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
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तारीख और शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, इस साल राधा अष्टमी का पावन पर्व 5 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:38 बजे तक का है, जिसमें पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। राधा रानी को माता लक्ष्मी का रूप भी माना गया है, इसलिए उनकी उपासना से धन और समृद्धि भी मिलती है।
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पूजा की तैयारी
पूजा शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। अपने पूजा स्थान को अच्छे से साफ करके गंगाजल का छिड़काव करें। यह पूजा के लिए एक पवित्र और शुद्ध वातावरण तैयार करता है।
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चौकी और कलश स्थापना
पूजा के लिए एक चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर राधा जी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद, पूजा की शुरुआत में मिट्टी या तांबे के कलश में जल भरकर उसे स्थापित करें। यह कलश पूजा की शुभता का प्रतीक माना जाता है।
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अभिषेक और श्रृंगार
राधा रानी को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर साफ जल से धोएं। इसके बाद, उनका सुंदर श्रृंगार करें, जिसमें चुनरी, माला और तिलक शामिल हैं। उन्हें फूल, धूप और दीप अर्पित करना भी न भूलें।
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मंत्र जाप और भोग
राधा अष्टमी पूजा विधि के दौरान "ॐ ह्रीं राधिकायै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। पूजा के अंत में राधा-कृष्ण की आरती करें और तुलसी दल के साथ फल या मिठाई का भोग लगाएं। यह मंत्र जीवन की परेशानियों को दूर करने में सहायक है।
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व्रत का आध्यात्मिक लाभ
राधा अष्टमी का व्रत करने से प्रेम, सौभाग्य और सुख-शांति मिलती है। राधा रानी को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से धन और समृद्धि भी प्राप्त होती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले भक्त भी इस दिन मनोकामना मांग सकते हैं।
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व्रत के नियम
व्रत करने वालों को पूरे दिन अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए, बल्कि फलाहार कर सकते हैं। व्रत का पारण अगले दिन सुबह पूजा के बाद ही करें। इस दिन दान-धर्म और ब्राह्मणों को भोजन कराना भी बहुत शुभ माना जाता है। यह दिन आपको राधाकृष्ण की भक्ति में लीन होने का एक सुनहरा मौका देता है।