/sootr/media/post_banners/9288632832ce1841250bd3eb1d396d2eae467b0f4e6ef983ff3ebd24fb25d626.png)
भाद्रपक्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी मनाई जाती है। ऋषि पंचमी पर पितरों से अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगने का विधान है। इस दिन सभी स्त्री-पुरुष जाने-अनजाने में हुई गलती और सप्त ऋषियों के लिए व्रत करते है ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। ऋषि पंचमी पर पितरों के नाम से दान किया जाता है ताकि सारे रुके हुए काम बन जाएं। इस साल यानी 2021 में ऋषि पंचमी शनिवार, 11 सितंबर को मनाई जाएगी।
पूजन विधि
सूर्योदय से पहले उठकर नहा लें और साफ हल्के पीले वस्त्र पहनें। अपने घर के मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें और धूप जलाएं। लकड़ी के पटरे पर सप्त ऋषियों की फोटो या विग्रह लगाए और उनके सामने जल भरकर कलश पर रखें। सप्त ऋषि को धूप-दीपक दिखाएं पीले फल-फूल और मिठाई अर्पित करें। अब सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों के लिए माफी मांगे और दूसरों की मदद करने का संकल्प लें। सभी लोगों को व्रत कथा सुनाने के बाद आरती करें और सभी को प्रसाद खिलाएं। अपने बड़े बुजुर्गों के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।
मंत्रों का करें जाप
ऋषि पंचमी के दिन सुबह नहा के साफ कपड़े पहनें। घर के रसोईघर को साफ करके गाय के दूध की खीर बनाएं। अपने घर के दक्षिण दिशा में पितरों की फोटो या तस्वीर रखें उनके सामने घी का दीपक जलाएं। 5 अलग अलग पान के पत्तों पर थोड़ी खीर रखकर उस पर एक-एक इलायची रखें। ॐ श्री पितृ देवाय नमः मन्त्र का 27 बार जाप करें। ये पांचों पान के पत्ते पीपल के वृक्ष की जड़ में चढ़ाएं। पितरों के नाम से जरूरतमंद लोगों को खाना जरुर खिलाएं।