रुद्राक्ष ने दिलाई सीहोर के कुबेरेश्वर धाम को पहचान, भक्तों की भीड़ से व्यापार बढ़ा, कई लोगों को रोजगार भी मिला

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The Sootr
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रुद्राक्ष ने दिलाई सीहोर के कुबेरेश्वर धाम को पहचान, भक्तों की भीड़ से व्यापार बढ़ा, कई लोगों को रोजगार भी मिला

राहुल शर्मा, BHOPAL. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर और सीहोर से 12 किमी दूर चितावलिया गांव लाखोंं भक्तों का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। कारण है यहां शिव स्तुति के लिए बनाया गया कुबेरेश्वर धाम। वैसे तो इस धाम का नाम न तो ज्योतिर्लिंग में शुमार है और न ही इसका धर्मग्रंथों में कोई ऐतिहासिक वर्णन मिलता है। फिर भी यह देश-विदेश के लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र है। वजह है यहां मिलने वाला रुद्राक्ष। कुबेरेश्वर धाम के मुखिया और अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा का दावा है कि यहां से मिलने वाले रुद्राक्ष चमत्कारी होते हैं। इससे भक्तों की सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। पं. मिश्रा की इस बात पर लाखों भक्तों की अटूट श्रद्धा है। यही कारण बीते कुछ समय से कुबेरेश्वर धाम में बड़ी संख्या में भक्तों का हुजूम उमड़ रहा है। एक रुद्राक्ष सभी समस्याओं का हल है या नहीं यह वाद-विवाद का विषय हो सकता है। लेकिन इस रुद्राक्ष की वजह से चितावलिया गांव की किस्मत जरूर चमक गई है। यहां दिन-प्रतिदिन भक्तों की भीड़ उमड़ने से गांव में व्यवसाय के नए द्वार खुले हैं, जिससे लोगों को रोजगार भी मिला है। द सूत्र ने इस पूरे मामले की पड़ताल की।





सबसे ज्यादा बिक्री खानपान के स्टॉलों पर होती हैं





कुबेरेश्वर धाम की ख्याति बढ़ने के साथ-साथ यहां आसपास खानपान के स्टॉल खुल गए है। सबसे ज्यादा कमाई भी इन्हीं की है। सीहोर से 12 किमी दूर होने के कारण यदि कोई भक्त यहां आता है तो नाश्ता या खाना यहीं खाता है। इससे यह व्यवसाय यहां फल-फूल रहा है। रुद्राक्ष महोत्सव में तो आजीविका मिशन से जुड़ी महिला स्वसहायता समूह ने यहां एक दर्जन स्टॉल लगाई थी और प्रतिदिन 8 से 10 हजार रुपए तक कमाए। अब भी हाइवे से कुबेरेश्वर धाम तक सड़क के दोनों ओर कई खानपान की दुकानें संचालित हो रही हैं, जो यहां के लोगों के लिए आय का एक मुख्य जरिया बना हुआ है। 





सभी दुकानों की अच्छी खासी कमाई 





कुबेरेश्वर धाम के पास ही कुर्ता-दुपट्टे का व्यापार करने वाले नितेश राय ने बताया कि सिर्फ रुद्राक्ष महोत्सव में ही नहीं, बल्कि अब अन्य दिनों में भी बड़ी संख्या में यहां भक्तों का आना-जाना लगा ही रहता है। इसके कारण यहां कोई भी दुकानें खोले वह घाटे में नहीं जाएगा। यहां जूस सेंटर, धार्मिक सामग्री समेत कई दुकानें खुली हैं, जो अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।   





500 नए ऑटो और मैजिक चलना हुए शुरू





कुबेरेश्वर धाम की जैसे-जैसे ख्याति बढ़ी लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलते गए। सीहोर में पहले 500 ऑटो और मैजिक थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर एक हजार हो चुकी है। ये आटो और मैजिक मुख्य रूप से भक्तों को सीहोर से धाम लाने ले जाने का ही काम कर रहे हैं। लंबे समय से ऑटो चलाने वाले बंशीलाल पटेल बताते हैं कि पहले उन्हें 500 रुपए तक दिनभर में मिलते थे, लेकिन अब कुबेरेश्वर धाम के कारण हर रोज 1000 से 1500 रुपए तक मिल जाते हैं। 





किसानों ने खेत को बना दिया मैदान





भोपाल से जब आप कुबेरेश्वर धाम के लिए जाएंगे तो आपको सड़क के आसपास कई खाली मैदान नजर आएंगे। ये मैदान पहले खेत थे। चितावलिया गांव के गेंदालाल सेन बताते हैं कि कुबेरेश्वर धाम की प्रसिद्धि कोविड काल में हुई। लोगों ने पं. प्रदीप मिश्रा की बताई गई बातों को अक्षरश: माना। इस कारण उनकी धीरे-धीरे प्रसिद्धि बढ़ती चली गई। कईयों ने खेत की फसल काटकर समतल मैदान बनाकर किराए से दे दिया। अब इन मैदानों में होटलें चल रही है। किसानों को सीधे ही जमीन का अच्छा किराया मिल जा रहा है। रुद्राक्ष महोत्सव में तो किसानों ने अपने खेतों में प्राइवेट पार्किंग बना ली थी और मात्र 10 दिन में फसल से 4 गुना तक ज्यादा कमा लिया। 





नापलाखेड़ा गांव में किराये से की ग्रामीणों ने कमाई





कुबेरेश्वर धाम से लगा हुआ नजदीकी गांव नापलाखेड़ा है। रुद्राक्ष महोत्सव में यहां अस्थाई होम स्टे बना लिए गए थे, जो अब दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन महोत्सव के 10 दिनों के अंदर ही यहां के लोगों ने जमकर कमाई की। एक कमरे का किराया 3 हजार तक लिया। हाल का एक दिन का किराया 10 से 12 हजार रुपए तक वसूला गया। जब गांव में जगह नहीं बची तो खेतों में अस्थायी टेंट लगाकर लोगों के रूकने की व्यवस्था की गई। द सूत्र ने भी जब ग्राहक बनकर एक शख्स से बात की तो उसने एक रात के रुकने का 1 हजार रुपए किराया बताया।  





जमीन के की दाम भी बढ़ गए





कुबेरेश्वर धाम के प्रसिद्ध होने के बाद बीते दो साल में यहां जमीन के भाव आसमान छू रहे हैं। वर्तमान में सरकारी गाइडलाइन के अनुसार एक एकड़ जमीन की कीमत 45 लाख रुपए है, लेकिन बाजार मूल्य 70 लाख रुपए एकड़ तक पहुंच गया है। सीहोर के व्यापारी अनिल शर्मा ने बताया कि कुबेरेश्वर धाम में आने वाले भक्तों की भीड़ को देखते हुए बिजनेस करने के उद्देश्य से दुकानें, होटल्स खोले जा रहे हैं। इन्हीं दुकानों के लिए जमीन की खरीदी-बिक्री बढ़ने से जमीन के रेट बढ़ गए हैं। 





अप्रैल से हर रोज कुबेरेश्वर धाम में मिलेंगे रुद्राक्ष 





कुबेरेश्वर धाम में भक्तों की भीड़ का मुख्य कारण यहां से मिलने वाला रुद्राक्ष ही है। रुद्राक्ष महोत्सव में उमड़ी लाखों की भीड़ के बाद अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अब इसे सालभर वितरित करने का निर्णय लिया है। द सूत्र से बातचीत में पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि एक से डेढ़ महीने व्यवस्था बनाने के लिए समय लिया है। इसके बाद हर दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच भक्त कुबेरेश्वर धाम से नि:शुल्क रुद्राक्ष ले सकेंगे। कुल मिलाकर अब कुबेरेश्वर धाम में अब पूरे साल ही रुद्राक्ष लेने के लिए भक्तों का आना-जाना लगा रहने वाला है, इससे यहां के लोगों को अब सालभर ही बेहतर व्यापार की उम्मीद है।







 



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