सावन में बेटियां क्यों आती हैं मायके, जानें इसके पीछे की पुरानी परंपरा और गहरे मायने

सावन में बेटियां मायके आती हैं, जो परिवार को एकजुट और खुशहाल बनाता है। यह परंपरा रिश्तों को मजबूत करने और परिवार के बीच प्यार बढ़ाने का मौका देती है।

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Kaushiki
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Why do daughters return to their parentshome in Saavan
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सावन का महीना जो भगवान शिव को समर्पित है न केवल धार्मिक अनुष्ठानों और त्योहारों का समय होता है, बल्कि यह परिवारिक रिश्तों को भी गहरा करने का एक सुनहरा अवसर लेकर आता है।

इस माह की एक बहुत पुरानी और प्यारी परंपरा है कि विवाह के बाद बेटियां अपने मायके आती हैं। यह सिर्फ एक मुलाकात नहीं होती, बल्कि इसके पीछे कई गहरे सांस्कृतिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कारण छिपे होते हैं। आइए, जानते हैं कि सावन में बेटियों के मायके आने की इस खास वजह और इसके जुड़े कुछ जरूरी पहलुओं को।

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बेटियों के मायके आने की सदियों पुरानी परंपरा

सावन में बेटियों के मायके आने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह सिर्फ एक रीति-रिवाज नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति में परिवार और रिश्तों के महत्व को दर्शाती है।

शास्त्रों के मुताबिक, बेटियां लक्ष्मी का स्वरूप होती हैं। ऐसा माना जाता है कि बेटियों का भाग्य पूरे घर के भाग्य को नियंत्रित करता है। जब विवाह के बाद बेटी अपने ससुराल विदा होती है, तो मायके में एक उदासी छा जाती है और कहीं न कहीं परिवार के भाग्य पर भी इसका प्रभाव पड़ने लगता है।

जब सावन में बेटियां वापस अपने मायके आती हैं, तो उनके साथ खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा भी वापस लौट आती है। यह परंपरा न केवल ससुराल और मायके के बीच के रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखती है, बल्कि बेटी को भी अपने परिवार से भावनात्मक और आध्यात्मिक जुड़ाव का अवसर मिलता है।

इस दौरान परिवार के सभी सदस्य एक साथ समय बिताते हैं, पुरानी यादें ताजा करते हैं और नए पल बनाते हैं। यह रिश्ते को मजबूत बनाने का एक बेहतरीन तरीका है।

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सावन में बेटियों का मायके आना

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  • सावन में बेटियों का मायके आना एक पुरानी परंपरा है, जो परिवार के रिश्तों को मजबूत करती है।
  • यह परंपरा बेटी को भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव का अवसर देती है, जिससे परिवार के बीच प्यार बढ़ता है।
  • सावन में बेटियां तनाव मुक्त होकर पुराने दिनों की यादें ताजा करती हैं और अपनी जड़ों से जुड़ी रहती हैं।
  • कुछ खास उपाय जैसे तुलसी का पौधा लगवाना और चांदी का सिक्का देना घर में सुख-समृद्धि लाते हैं।
  • बेटियों के मायके आने से परिवारिक एकजुटता बढ़ती है और त्योहारों की रौनक और भी खास हो जाती है।

भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव

सावन का महीना कई त्योहारों जैसे हरियाली तीज और रक्षाबंधन से जुड़ा है। इन त्योहारों को बेटियों के बिना अधूरा माना जाता है। जब बेटियां मायके आती हैं, तो इन त्योहारों की रौनक और बढ़ जाती है।

वे अपनी बहनों, भाइयों और माता-पिता के साथ इन खुशियों को साझा करती हैं, जिससे त्योहारों का असली रंग निखर कर आता है। यह भावनात्मक जुड़ाव बेटियों को अपने नए जीवन में मजबूती देता है और उन्हें याद दिलाता है कि उनका मायका हमेशा उनके लिए खुला है। इससे,

  • तनाव से मुक्ति: नए घर और नई जिम्मेदारियों के बीच, मायका एक ऐसी जगह होती है जहां बेटियां कुछ दिनों के लिए तनाव मुक्त हो सकती हैं। उन्हें अपने बचपन की यादें ताजा करने और माता-पिता के लाड़-प्यार में डूबने का मौका मिलता है।
  • परंपराओं का पालन: यह बेटियों को अपने मायके की परंपराओं और रीति-रिवाजों को समझने और उनका पालन करने का अवसर भी देता है, जो उन्हें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है।
  • पारिवारिक एकजुटता: सावन में बेटियों के आने से पूरा परिवार एक साथ इकट्ठा होता है। यह परिवारिक एकजुटता और प्यार को बढ़ाता है, जो आधुनिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है।

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सावन में बेटियों के मायके आने से जुड़े खास उपाय

हमारे शास्त्रों और लोक परंपराओं में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें सावन में बेटी के मायके आने पर करने से घर में धन, बरकत और सुख-समृद्धि आती है। जैसे

  • तुलसी का पौधा लगवाएं: मान्यता है कि विवाह के बाद सावन में जब बेटियां घर आएं तो उनसे तुलसी का पौधा लगवाएं। इससे घर के क्लेश दूर होते हैं और घर में बरकत आती है। तुलसी को पवित्र माना जाता है और इसे घर में लगाना शुभ होता है।
  • मकान बनाने या संपत्ति खरीदने के लिए: अगर आप चाहकर भी मकान नहीं बना पा रहे हों या संपत्ति नहीं खरीद पा रहे हों, तो बेटी के घर में आने के बाद किसी भी मंगलवार को बेटी के हाथों गुड़ मिट्टी के बर्तन में रखवाएं और उसे जमीन में दबा दें। मान्यता है कि इस उपाय से शीघ्र मकान बनने का सपना पूरा होता है।
  • धन वृद्धि के लिए श्रृंगार सामग्री और चांदी का सिक्का: यदि आप धन की समस्या से गुजर रहे हैं, तो सावन में बेटी के घर आने पर उसे श्रृंगार सामग्री भेंट करें। साथ ही, बेटी के हाथों एक गुलाबी कपड़े में थोड़ा सा अक्षत और एक चांदी का सिक्का बांधकर उसे धन स्थान जैसे तिजोरी या अलमारी पर रख दें। कहते हैं कि इससे धन में वृद्धि के योग बनते हैं और घर में बरकत आती है।
  • ग्रह शांति के लिए: बेटी के मायके आने पर ग्रह शांति से संबंधित पूजा-पाठ करवाना भी शुभ माना जाता है। बेटी के हाथों किसी ब्राह्मण को दान देने से भी ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
  • नकारात्मकता दूर करने के लिए: कुछ स्थानों पर यह भी मान्यता है कि बेटी के आने पर घर में कुछ खास तरह की साफ-सफाई और धुलाई करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है।

ये उपाय न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करते हैं, बल्कि ये बेटियों और उनके परिवारों के बीच के भावनात्मक बंधन को भी मजबूत करते हैं। यह परंपरा हमें यह याद दिलाती है कि बेटियां हमेशा अपने माता-पिता के लिए खास होती हैं, चाहे वे विवाह के बाद कहीं भी रहें।

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