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सावन का आखिरी सोमवार
आज (4 अगस्त 2025) सावन का आखिरी सोमवार है और यह पवित्र महीना भगवान भोलेनाथ के प्रति असीम श्रद्धा और प्रेम का साक्षी रहा है। पूरे भारत में भक्तों ने अपनी आस्था और भक्ति के साथ भगवान शिव की आराधना की। आइए जानते हैं कैसा रहा 2025 का सावन का महीना।
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ज्योतिर्लिंगों में उमड़ी भक्तों की भीड़
इस सावन देशभर के सभी ज्योतिर्लिंगों - चाहे वह काशी विश्वनाथ हो या सोमनाथ, उज्जैन का महाकालेश्वर हो या नासिक का त्र्यंबकेश्वर - में भक्तों का तांता लगा रहा। लाखों श्रद्धालुओं ने सुबह से ही लंबी कतारों में लगकर भोलेनाथ के दर्शन किए और जलाभिषेक किया।
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कांवड़ यात्रा का अद्वितीय उत्साह
हरिद्वार, गंगोत्री और अन्य पवित्र नदियों से जल लेकर आने वाले कांवड़ियों का जोश इस साल भी देखते ही बन रहा था। गेरुआ वस्त्र धारण किए भक्तों ने सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पैदल तय कर शिवालयों में जल चढ़ाया, जो उनकी अटूट श्रद्धा का प्रतीक था।
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शिवालयों में विशेष पूजा-अर्चना
छोटे-बड़े सभी शिवालयों में हर सावन सोमवार और अन्य शुभ दिनों पर विशेष पूजा-अर्चना और रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया। मंदिर घंटियों और मंत्रोच्चार से गूंजते रहे, जिससे पूरे वातावरण में भक्तिमय ऊर्जा का संचार हुआ।
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घरों में भी गूंजा हर हर महादेव
सिर्फ मंदिरों में ही नहीं, घरों-घरों में भी भगवान शिव की पूजा की गई। भक्तों ने पार्थिव शिवलिंग बनाकर या शिवलिंग पर जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की और "हर हर महादेव" का जयघोष किया।
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महिला भक्तों की विशेष भागीदारी:
सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं ने भी सावन के व्रत रखे। उन्होंने भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा कर अखंड सौभाग्य और मनचाहे वर की प्रार्थना की।
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भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजन
सावन के दौरान विभिन्न स्थानों पर भजन-कीर्तन, शिव कथाएं और धार्मिक प्रवचन आयोजित किए गए। इन आयोजनों ने भक्तों को एकजुट किया और उन्हें भगवान शिव की महिमा से जोड़ा।
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प्रकृति से जुड़ाव और हरियाली महोत्सव
सावन का महीना प्रकृति के साथ भी गहरा जुड़ाव रखता है। भक्तों ने भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा और अन्य प्राकृतिक वस्तुएं अर्पित कीं, साथ ही कई जगह हरियाली महोत्सव भी मनाए गए।
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सामाजिक समरसता का प्रतीक
इस पूरे महीने (sawan) में धर्म, जाति और वर्ग से परे होकर सभी ने एक साथ भगवान शिव की आराधना की। यह सावन सामाजिक समरसता और एकता का भी एक अद्भुत प्रतीक बन कर उभरा।