सावन सोमवार व्रत की कथाः अगर सोमवार का व्रत रख रहें है तो जरुर पढ़ें ये कथा

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सावन सोमवार व्रत की कथाः अगर सोमवार का व्रत रख रहें है तो जरुर पढ़ें ये कथा

हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत पवित्र माना जाता है। इसे धर्म-कर्म का महीना भी कहा जाता है। सावन महीने का धार्मिक महत्व काफी ज्यादा है। बारह महीनों में से सावन का महीना विशेष पहचान रखता है। इस दौरान व्रत, दान व पूजा-पाठ करना अति उत्तम माना जाता है व इससे कई गुना फल मिलता है। इस महीने में पार्वती ने शिव की घोर तपस्या की थी और भगवान शिव ने उन्हें दर्शन भी इसी माह में दिया था। तब से भक्तों का विश्वास है कि इस महीने में शिवजी की तपस्या और पूजा पाठ से शिव जी जल्द प्रसन्न होते हैं और जीवन सफल बनाते हैं।

सूर्य के कर्क राशि में आने से होती है बारिश

महादेव को श्रावण मास सबसे प्रिय है क्योंकि श्रावण मास में सबसे अधिक वर्षा होने के आसार रहते हैं। जो शिव के गर्म शरीर को ठंडक देता है। भगवान शंकर ने स्वयं सनतकुमारों को सावन महीने की महिमा बताई है कि मेरे तीनों नेत्रों में सूर्य दाहिने, बांए चन्द्र और अग्नि मध्य नेत्र है। हिन्दू कैलेण्डर में महीनों के नाम नक्षत्रों के आधार पर रखे गए हैं। जैसे वर्ष का पहला माह चैत्र है, जो चित्रा नक्षत्र के आधार पर पड़ा है। उसी प्रकार श्रावण महीना श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्र होता है। चन्द्र भगवान भोलेनाथ के मस्तक पर विराजमान है। जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है, तब सावन महीना शुरु होता है। सूर्य गर्म है एवं चन्द्र ठण्डक प्रदान करता है, इसलिए सूर्य के कर्क राशि में आने से झमाझम बारिश होती है। जिसके फलस्वरूप लोक कल्याण के लिए विष को ग्रहण करने वाले देवों के देव महादेव को ठंडक व सुकून मिलता है। शायद यही कारण है कि शिव का सावन से इतना गहरा लगाव है।

सावन सोमवार के व्रत से जुड़ी कथा

एक बार सावन के महीने में अनेक ऋषि क्षिप्रा नदी में स्नान कर उज्जैन के महाकाल शिव की अर्चना करने हेतु एकत्र हुए। वहां एक अभिमानी वेश्या भी अपने कुत्सित विचारों से ऋषियों का धर्मभ्रष्ट करने चल पड़ी। किंतु वहां पहुंचने पर ऋषियों के तपबल के प्रभाव से उसके शरीर की सुगंध लुप्त हो गई। वह आश्चर्यचकित होकर अपने शरीर को देखने लगी। उसे लगा उसका सौंदर्य भी नष्ट हो गया। उसकी बुद्धि परिवर्तित हो गई। उसका मन विषयों से हट गया और भक्ति मार्ग पर बढ़ने लगा। उसने अपने पापों के प्रायश्चित हेतु ऋषियों से उपाय पूछा। ऋषि बोले तुमने सोलह श्रृंगारों के बल पर अनेक लोगों का धर्मभ्रष्ट किया है इस पाप से बचने के लिए तुम सोलह सोमवार व्रत करो और काशी में निवास करके भगवान शिव की पूजा करो। वेश्या ने ऐसा ही किया और अपने पापों का प्रायश्चित कर शिवलोक पहुंची। ऐसा माना जाता है कि सोलह सोमवार के व्रत से कन्याओं को सुंदर पति मिलते हैं तथा पुरुषों को सुंदर पत्नी मिलती है। बारह महीनों में विशेष है श्रावण मास, इसमें शिव की पूजा करने से सभी देवताओं की पूजा का फल मिल जाता है।

सावन सोमवार व्रत की कथा