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सावन का महीना हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित है और इस दौरान किए गए कार्यों का विशेष महत्व होता है।
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, इस माह में भगवान शिव की पूजा से न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है, बल्कि पितृ और कालसर्प दोष से भी मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
इस लेख में हम आपको एक ऐसे स्त्रोत के बारे में बताएंगे जिसे सावन के महीने में रोजाना पढ़ने से आपको इन दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
भगवान शिव की पूजा का सबसे उत्तम समय
सावन का महीना भगवान शिव की पूजा और उपासना का समय होता है। यह महीना खास तौर पर भोलेनाथ के प्रति आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है।
शास्त्रों के मुताबिक, सावन में शिवजी के दर्शन और पूजा से न केवल पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में खुशहाली और समृद्धि का वास भी होता है। यही कारण है कि इस समय भगवान शिव के प्रति सच्चे भाव से की गई पूजा से उनका आशीर्वाद जल्दी मिलता है।
पितृ और कालसर्प दोष
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, पितृ दोष और कालसर्प दोष दोनों ही जीवन में विभिन्न परेशानियां और संकट लेकर आते हैं। पितृ दोष का असर व्यक्ति के परिवार और संतान संबंधी मुद्दों पर पड़ता है, जबकि कालसर्प दोष व्यक्ति की सेहत, करियर और जीवन की दिशा को प्रभावित करता है।
पितृ दोष:
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के पंचम और नवम भाव में राहु या राहु के साथ सूर्य स्थित हैं, तो पितृ दोष उत्पन्न होता है। इससे संतान उत्पत्ति में बाधा आती है और व्यक्ति को धन का अभाव रहता है। इस दोष से मुक्ति के लिए प्रतिदिन शिव पूजा और नाग स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है।
कालसर्प दोष:
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, कालसर्प दोष तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति की कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के साथ होते हैं। यह जीवन में कई प्रकार की परेशानियां उत्पन्न करता है, जैसे करियर में रुकावट, मानसिक तनाव, और कई बार शारीरिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं।
नाग स्तोत्र का पाठ
नाग स्तोत्रम् एक प्राचीन और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो विशेष रूप से कालसर्प और पितृ दोष से मुक्ति दिलाने के लिए प्रभावी है। इस स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं, करियर और व्यवसाय में सफलता मिलती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
नाग स्तोत्रम् का पाठ विधि
- शुद्ध स्थान पर बैठकर निस्वार्थ भाव से भगवान शिव का ध्यान करें।
- नाग स्तोत्रम् का पाठ करें, जिसमें प्रत्येक श्लोक का उच्चारण सही रूप से करना आवश्यक है।
- जल चढ़ाएं और भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करें।
- नम्रता और श्रद्धा के साथ पाठ करें और जीवन में हर प्रकार की समृद्धि की कामना करें।
नाग स्तोत्रम् का पाठ और उसकी महिमाज्योतिषशास्त्र के मुताबिक, नाग स्तोत्रम् के श्लोक में भगवान शिव और नागों के संबंधों का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र का प्रभाव बहुत ही शक्तिशाली होता है, जो पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। इसके नियमित पाठ से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। |
॥ नाग स्तोत्रम् ॥
ब्रह्म लोके च ये सर्पाःशेषनागाः पुरोगमाः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
विष्णु लोके च ये सर्पाःवासुकि प्रमुखाश्चये।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
रुद्र लोके च ये सर्पाःतक्षकः प्रमुखास्तथा।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
खाण्डवस्य तथा दाहेस्वर्गन्च ये च समाश्रिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
सर्प सत्रे च ये सर्पाःअस्थिकेनाभि रक्षिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
प्रलये चैव ये सर्पाःकार्कोट प्रमुखाश्चये।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
धर्म लोके च ये सर्पाःवैतरण्यां समाश्रिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
ये सर्पाः पर्वत येषुधारि सन्धिषु संस्थिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
ग्रामे वा यदि वारण्येये सर्पाः प्रचरन्ति च।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
पृथिव्याम् चैव ये सर्पाःये सर्पाः बिल संस्थिताः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
रसातले च ये सर्पाःअनन्तादि महाबलाः।
नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥
सावन में भगवान शिव की पूजा
सावन के महीने में विशेष रूप से शिव अभिषेक और नाग स्तोत्रम् का पाठ करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है और व्यक्ति को जीवन में समस्याओं से छुटकारा मिलता है। यही समय है जब व्यक्ति को शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो उसे जीवन में सफलता और समृद्धि की ओर ले जाती है।
कालसर्प दोष क्या है
कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय दोष है जो तब उत्पन्न होता है जब व्यक्ति की जन्म कुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच होते हैं, यानी किसी भी अन्य ग्रह के बीच नहीं होते।
इसे 12 प्रकार का माना जाता है। यह दोष व्यक्ति की जीवन में मानसिक तनाव, करियर में रुकावटें, स्वास्थ्य समस्याएं और आय में कमी उत्पन्न कर सकता है। इससे मुक्ति के लिए विशेष उपाय और पूजा की जाती है।
डिस्क्लेमर: इस वेबसाइट पर दी गई धार्मिक जानकारी केवल सामान्य मार्गदर्शन के उद्देश्य से है। किसी भी धार्मिक निर्णय से पहले विशेषज्ञों या धार्मिक गुरुओं से सलाह लेना करना जरूरी है।
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