BHOPAL. भोलेभंडारी को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के अलावा प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं। एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर। इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं, वैशाख मास का दूसरा प्रदोष व्रत किस दिन रखा जाएगा? वहीं शिव की पूजा के दौरान कौन सी नहीं करनी चाहिए गलतियां।
इस समय करें पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 अप्रैल 2023 को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी, जो 18 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में सोम प्रदोष व्रत 17 अप्रैल 2023, सोमवार के दिन रखा जाएगा। वहीं पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 48 मिनट से रात 9 बजकर 1 मिनट के बीच तक रहेगा।
भूलकर भी पूजा में नहीं करें ये गलती
भगवान शिव जी की पूजा के समय कभी भी शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। शास्त्रों में भी शिवलिंग की आधी परिक्रमा करने का विधान है। वहीं शिव की पूजा में हल्दी का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। प्रदोष व्रत के दिन आप शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, गंगाजल, दूध, चंदन, भस्म चढ़ा सकते हैं। लेकिन हल्दी के इस्तेमाल से बचें। शिव जी को केतकी के फूल, तुलसी की पत्तियां, नारियल का पानी, शंख का जल, कुमकुम या सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि इन चीजों को चढ़ाने से भोलेनाथ नाराज हो सकते हैं।
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शारीरिक परेशानियों से मिलेगा छुटकारा
वैशाख महीने के प्रदोष और शिव चतुर्दशी पर सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद भगवान भोलेनाथ का जल और दूध से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग पर मदार, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं। साथ ही शिवजी को मौसमी फलों का भोग लगाएं। इन दो दिनों में सत्तू, तरबूज और जल के घड़े का दान करना बेहद शुभ होता है। इन चीजों का दान करने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं।
मनोकामना पूरी करता है वैशाख मास का सोम प्रदोष
वैशाख मास में पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पुराणों के अनुसार नारद जी ने बताया कि वैशाख मास को ब्रह्माजी ने सब मासों में उत्तम सिद्ध किया है। यह मास संपूर्ण देवताओं द्वारा पूजित है। इसलिए इस महीने में पड़ने वाले सोम प्रदोष व्रत को करने से बहुत पुण्य मिलता है।