शनि प्रदोष व्रत: जानें कब हैं भाद्रपद में प्रदोष व्रत, क्या है तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

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शनि प्रदोष व्रत: जानें कब हैं भाद्रपद में प्रदोष व्रत, क्या है तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित होता है। लेकिन इस बार शनिवार को शनि देव के साथ-साथ शिव जी को भी प्रसन्न करने का शुभ संयोग बन रहा है। 18 सितंबर, शनिवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष व्रत है। भादो का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है साथ ही शनि देव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।

भगवान शिव ने शनिदेव को बनाया दंडाधिकारी

ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को क्रूर और न्याय करने वाला ग्रह माना जाता है। शनि ग्रह जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति हर कार्य में बाधा और परेशानी का नुभव करते हैं। शनि देव जब ज्यादा परेशान करने लगे तो भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए। शनि देव, शिव भक्तों को परेशान नहीं करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार शनि देव ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, जिससे खुश होकर भगवान शिव ने शनि देव को सभी ग्रहों का न्यायाधीश यानि दंडाधिकारी बना दिया था।

प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व

पंचांग के अनुसार 18 सितंबर 2021, शनिवार को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को सुबह 06 बजकर 54 मिनट से तिथि शुरु हो जाएगी। त्रयोदशी तिथि का समापन 19 सितंबर की सुबह 05 बजकर 59 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।

द सूत्र the sootr भाद्रपक्ष में जानें क्या है shani pradosh का महत्व