पितृ पक्ष के अंतिम दिन यानी सर्व पितृ अमावस्या के अगले दिन से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवरात्रि शुरु होती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरुपों मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा क्रमश: की जाती है। इस नवरात्रि में बंगाल, बिहार, झारखंड समेत देश के कई राज्यों में दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन होता है। दुर्गाष्टमी या महानवमी को कन्या पूजा की जाती है। महानवमी को नवरात्रि हवन का भी आयोजन होता है। दशहरा के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण का पुतला दहन किया जाता है, वहीं विजयादशमी के दिन मां दुर्गा की मूर्तियों का विधि विधान से विसर्जन होता है। इस दिन शस्त्र पूजा भी की जाती है।
7 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू
2021 में शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर, गुरुवार से शुरू होगी। इस दिन कलश स्थापना होगी और मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। जिन लोगों को नौ दिन व्रत रखना होगा, वे कलश स्थापना के साथ नवरात्रि व्रत एवं मां दुर्गा की पूजा का संकल्प लेंगे और व्रत शुरू करेंगे। जो लोग एक दिन का नवरात्रि व्रत रहेंगे, वो अगले दिन व्रत का पारण कर लेंगे और फिर दुर्गाष्टमी के दिन व्रत रखेंगे एवं कन्या पूजन करेंगे।
दुर्गाष्टमी या महाष्टमी
इस साल यानी 2021 में नवरात्रि आठ दिनों की है क्योंकि अश्विन शुक्ल षष्ठी तिथि का क्षय हो रहा है। इस कारण से आठ दिनों की नवरात्रि है। नवरात्रि में पहले दिन के बाद अष्टमी का बहुत महत्व होता है। इसे दुर्गाष्टमी या महाष्टमी कहते हैं। इस साल दुर्गाष्टमी 13 अक्टूबर, बुधवार को है। इस दिन मां महागौरी की पूजा होती है। जो लोग प्रथम दिन व्रत रखते हैं, वे महाष्टमी का भी व्रत रखते हैं।
महानवमी
कई स्थानों पर नवरात्रि में कन्या पूजन महाष्टमी के दिन किया जाता है और कई स्थानों पर महानवमी के दिन। इस दिन कन्याओं को भोजन कराने, उनका पूजन करने और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लेने की परंपरा है। यदि आप दुर्गाष्टमी के दिन करते हैं तो कन्या पूजन 13 अक्टूबर को होगा और यदि महानवमी के दिन करते हैं तो कन्या पूजन 14 अक्टूबर को होगा। शारदीय नवरात्रि की महानवमी 14 अक्टूबर, गुरुवार को है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और हवन किया जाता है।