संजय गुप्ता, INDORE. गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर इंदौर में सिख और सिंधी समाज के उठे विवाद को लेकर मामला अभी तक हल नहीं हुआ है। सिंधी समाज द्वारा दरबारों में रखे गए गुरु ग्रंथ साहिब लौटाने के बाद इन्हें वापस नहीं लिया गया है और अब अमरावती ;महाराष्ट्र में हुई विशाल सनातन धर्मसभा में यह घोषणा की गई। कहा गया कि सिंधी समाज का नया श्री गुरु सनातन आदि ग्रंथ संकलित होगा और गुरु ग्रंथ साहिब की जगह इसे ही दरबारों में रखा जाएगा।
महामंडलेशवर ने की घोषणा, कही यह बात
भीलवाड़ा के महामंडलेश्वर हंसराम ने की सनातन ग्रन्थ संकलन की घोषणा करते हुए कहा कि आज सनातनी सिंधु समाज की एकजुटता के लिए बहुत आवश्यक है कि समाज का एक अपना सिंन्धु सनातनी ग्रन्थ हो। जिस ग्रन्थ को हम अपना ग्रन्थ कह सकें। क्योंकि आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है। इसलिए सनातनी.संतों, महापुरुषों की सनातनी वाणी का संकलन कर, एक सनातनी.ग्रन्थ प्रकाशित किया जाएगा। महामंडलेश्वर ने आगे बताया कि आज सिंधु समाज को अन्य मजहब और पंथ द्वारा अनेक प्रकार के आकर्षण और प्रलोभन से सनातन संस्कृति और परम्पराओं से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। सिंधी समाज में इतने बड़े स्तर पर हो रहा धर्मान्तरण चिंता का विषय है।
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यह रहेगा श्री गुरु सनातन आदि ग्रंथ में
उन्होंने आगे बताया कि अखिल भारतीय सिंधु सन्त समाज ट्रस्ट द्वारा एकमत होकर श्री गुरु सनातन आदि ग्रन्थ नामक ग्रन्थ का संकलन करने का निर्णय लिया है। इस ग्रन्थ की मर्यादाएं सनातनी परम्परानुसार निर्धारित की जाएगी। और वो ग्रन्थ हमारे सिंधु मन्दिरों और अन्य सनातनी धर्म स्थानों में सनातनी स्वरूप के साथ विराजमान होगा। सद्गुरु कबीर, सन्त रैदास, भक्तिमति मीराबाई, महापुरुष सूरदास, सन्त कंवरराम, सन्त पहलाज राम, सामी साहिब जैसे सदैव मानव उत्थान और परमार्थ चिंतन में रहने वाले सन्तों, महापुरुषों और भक्तों की वाणी इस ग्रन्थ में संकलित होगी। अतः इस ग्रन्थ में किसी भी जाति, धर्म और सम्प्रदाय के प्रति भेदभाव नहीं होगा। ये सनातनी ग्रन्थ हमारी सामाजिक एकता को मजबूत करेगा।
गुरु ग्रंथ साहिब सम्मान से लौटाए जा रहे हैं
महामंडलेश्वर ने बताया कि संस्था के निर्णय अनुसार सभी प्रान्तों के अनेक सिंधी धर्म स्थानों से श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी के स्वरूप ससम्मान पंजाबी गुरुद्वारों में सौंपे जा रहे हैं। दस अप्रैल तक देश के अन्य सभी सिंधी टिकाणो से श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी ससम्मान पंजाबी गुरुद्वारों में सौंप दिए जाएंगे। उसके पश्चात महामंत्री स्वामी हंसदास उदासी के नेतृत्व में राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तरीय, पंचायत समन्वय समितियां बनाई जाएंगी। ये समितियां नगरों की पूज्य सिंधी पंचायतों से सम्पर्क करेगी और संस्था द्वारा धर्म और संस्कृति प्रचार.प्रसार, सामाजिक एकजुटता, धर्मान्तरण रोकने और सिंन्धु संस्कृति के रीति रिवाजों और त्योहारों के प्रति समाज को जागरूक करने हेतु बनाई गई योजनाओं की जानकारी देगी और उस पर मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करेगी। उसके बाद प्रांतीय स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर धर्म सभाएं आयोजित की जाएंगी। विशाल सनातन धर्मसभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी खिम्यादास जीए संरक्षक स्वामी श्यामदास जीए महामंत्री स्वामी हंसदास जीए कोषाध्यक्ष स्वामी स्वरूपदास जीए सलाहकार स्वामी अर्जुनदास जीए महंत हनुमान राम जीए स्वामी माधवदास जी सहित देश के अनेक नगरों से पधारे सन्त महापुरुष और भारी तादाद में भक्त भक्तगण सम्मिलित हुए।