/sootr/media/media_files/2025/11/15/tamil-nadu-navapashanam-temple-ram-navagraha-pond-mystery-2025-11-15-14-26-46.jpg)
Latest Religious News:भारत में कई चमत्कारी मंदिर हैं। ऐसा ही एक अनोखा मंदिर तमिलनाडु के एक गांव में है। इस मंदिर का नाम नवपाषाणम है। यहां दर्शन करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। मंदिर से सटे तालाब में स्नान करने का बहुत महत्व है।
यह स्नान शोक और चर्म रोग को दूर करता है। इस मंदिर की खास बात यहां नवग्रहों को संतुलित करने के लिए विशेष पूजा है। भक्त अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए दूर-दूर से यहां आते हैं।
/sootr/media/post_attachments/multimedia/2025_11image_19_18_304159322temple-408947.jpg)
समंदर से सटे इस तालाब का चमत्कार
हिंदू धर्म में नवग्रहों का बहुत महत्व बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, अगर नवग्रह कुंडली में सही स्थिति में हों, तो जीवन के सभी कार्य आसानी से होते हैं। हलांकी ग्रहों की नीच स्थिति जीवन में भूचाल ला सकती है।
तमिलनाडु के इस गांव में समंदर से सटे एक तालाब में स्नान होता है। लोग यहां नवग्रहों को संतुलित करने के लिए आते हैं। इस तालाब का पानी औषधियों से भरपूर माना जाता है।
इसीलिए यहां स्नान करने से चर्म रोग संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। मान्यता है कि मंदिर में दर्शन मात्र से ही समस्याएं दूर होती हैं। घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
ये खबर भी पढ़ें...
सतपुड़ा का बावनगजा: 84 फीट की मूर्ती, ऊंची पहाड़ी पर बने इस मंदिर का नजारा है शानदार
/sootr/media/post_attachments/wp-content/uploads/2026/08/ch-596940.jpg)
भगवान राम ने की थी मंदिर की स्थापना
यह अनोखा नवग्रह लोक रामेश्वरम से 17 किलोमीटर दूर देवीपट्टिनम में स्थित है। माना जाता है कि नवपाषाणम मंदिर में भक्त बीमारियों और नवग्रहों को शांत कराने आते हैं। यह देखने में तट के पास बना एक छोटा सा तालाब लगता है।
हिंदू धर्म में इसकी आस्था बहुत गहरी है। किंवदंती कहती है कि इस मंदिर और तालाब की स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी। उन्होंने रावण से युद्ध करने से पहले पूजा की थी।
अपने हाथों से समंदर में नवग्रहों की प्रतिमाएं गोल चक्कर में स्थापित की थीं। पूजा के बाद भगवान राम को एक वरदान मिला था। वरदान था कि पुल बनाते समय समुद्र की लहरें उनकी वानर सेना को नुकसान नहीं पहुंचाएंगी।
ये खबर भी पढ़ें...
नवंबर में कब है Vivah Panchami 2025, इस दिन पूजा करने से मिलेता सौभाग्य और दांपत्य सुख का वरदान
/sootr/media/post_attachments/jerrick/image/upload/d_642250b563292b35f27461a7.png,f_jpg,fl_progressive,q_auto,w_1024/678e5c239d7a67001db34958-582475.jpg)
रोगों से मुक्ति और पितरों का तर्पण
भक्तों की इस चमत्कारी तालाब को लेकर और भी कई मान्यताएं हैं। तालाब का पानी अमृत के समान माना गया है। इसमें नौ जड़ी-बूटियों के गुण शामिल हैं। यहां स्नान करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
कई भक्त तालाब का जल अपने घर भी ले जाते हैं। माना जाता है कि तमिल शैव सिद्ध बोगर ने इन्हीं नौ जड़ी-बूटियों से पलानी मंदिर में भगवान मुरुगन की मूर्ति बनाई थी। उन्हीं जड़ी-बूटियों के गुण इस तालाब के पानी में भी मौजूद हैं।
भक्त यहां अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए भी आते हैं। पहले वे तालाब में मौजूद नौ प्रतिमाओं की परिक्रमा करते हैं। इसके बाद उन पर फूलमाला अर्पित कर पितृ का तर्पण करते हैं। यह एक पवित्र अनुष्ठान है।
/sootr/media/post_attachments/wikipedia/commons/e/e3/Navapashanam2-749544.jpg)
तालाब (नवग्रह शांति पूजा) में प्रतिमाओं का कोई निश्चित आकार नहीं है। वे हमेशा आधी पानी के नीचे और आधी पानी के ऊपर रहती हैं। कई बार समंदर का जलस्तर बढ़ने पर वे पूरी तरह डूब भी जाती हैं।
समंदर तट (नवग्रहों की स्थापना) से सटे इस तालाब के पास एक देवी मां का मंदिर भी बना है। हिंदू धर्म में इसे बहुत पवित्र माना गया है। मान्यता है कि देवी मां ने यहीं पर राक्षस महिषासुर का वध किया था। इस प्रकार यह स्थान नवग्रहों की शांति के साथ-साथ शक्ति पूजा का भी केंद्र है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी पूरी तरह से सही या सटीक होने का हम कोई दावा नहीं करते हैं। ज्यादा और सही डिटेल्स के लिए, हमेशा उस फील्ड के एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
ये खबर भी पढ़ें...
मार्गशीर्ष माह से Ekadashi Vrat शुरू करने पर मिलता है अद्भुत लाभ, कैसे करें सही विधि से पूजा
Kaal Bhairav Jayanti 2025: सिर्फ एक रात की पूजा से दूर हो जाएगा हर संकट, जानें कैसे
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us