भोपाल. आज रक्षाबंधन है। पूरी दुनिया में सबसे पहले राखी भगवान महाकाल को बांधी जाती है। सिर्फ इस पर्व को मनाने के लिए भस्मारती राखी के बाद की जाती है। भगवान की राखी तैयार करने वाली महिलाएं पूरे सावन माह उपवास करती है। कई सख्त नियमों का पालन करने के बाद बाबा महाकाल को राखी तैयार किया जाता है।
कैसे तैयार की जाती है राखी
भगवान महाकाल (Mahakal) को भाई (Brother) मानकर राखी (Rakhi) तैयार की जाती है। ये महिलाएं भगवान का प्रसाद खाने के बाद ही अपना व्रत (Fast) खोलती है। राखी बांधने की यह परंपरा (Tradition) कई सालों पुरानी है। सबसे पहले पुजारी के घर की महिलाएं महाकाल को राखी बांधती है। कोविड के दौरान भी यह परंपरा निभाई गई थी। पिछले साल भगवान महाकाल को राखी बांधने के लिए प्रशासन ने विशेष अनुमति दी थी।
कौन बांधती है राखी
महाकाल मंदिर में कुल 16 पुजारी हैं। ये सभी जनेऊ और खूंट पाती परिवार से है। हर परिवार को 6-6 महीने के लिए भस्मारती करने का मौका मिलता है। जिस परिवार को सावन के दौरान भस्मारती करने का मौका मिलता उन्हीं की महिलाएं महाकाल को राखी बांधती है। महाकाल की राखी तैयार करने के लिए पूरा परिवार एक साथ काम करता है। भगवान की राखी का सामना भी कीमती होता है। राखी तैयार करने के सामान का बहनें बहुत श्रद्धा और भक्तिभाव से चयन करती हैं।
भगवान सूर्य के आकार की राखी
इस बार राखी रविवार को है इसलिए राखी भी भगवान सूर्य को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। महाकाल को राखी बांधने के लिए पुजारी परिवार की महिलाएं रात 2 बजे ही पहुंच जाती है। राखी बांधने के दौरान मंत्रोच्चार करती है। राखी बांधने के बाद महाकाल से मिले प्रसाद से ये महिलाएं व्रत खोलती है और अपने भाईयों को राखी बांधती है।